प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सोमनाथ सूर्यवंशी (35) की मौत पिटाई से होने की बात सामने आने के बाद परभणी में एक पुलिस अधिकारी समेत 2 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई घटना के करीब दो महीने बाद की गई है।
परभणी से मुंबई तक मार्च के दौरान संरक्षक मंत्री मेघना बोर्डिकर और विधायक सुरेश धस और पुलिस अधिकारियों ने नासिक में प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की। प्रदर्शनकारियों ने बैठक के दौरान 15 मांग वाला पत्र सौंपा। इसके बाद पुलिस उपनिरीक्षक कार्तिकेश्वर तूरनर समेत अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने मांगें मानने के लिए एक महीने का समय दिया है।
क्या है पूरा मामला?
10 दिसंबर 2024 को महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में स्थित परभणी शहर में स्टेशन रोड पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के सामने रखी संविधान की प्रतिकृति को एक शख्स ने नुकसान पहुंचाया। इसके बाद परभणी में हिंसा भड़क गई। जिसके बाद पुलिस ने परभणी के शंकर नगर निवासी सोमनाथ सूर्यवंशी समेत 50 से अधिक लोगों को हिंसा में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया। स्थानीय अदालत ने बाद में सोमनाथ को जिला केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस के मुताबिक, हिरासत में ही सोमनाथ की तबियत बिगड़ गई और उन्हें सीने में दर्द और बेचैनी की शिकायत के चलते सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां 15 दिसंबर को सोमनाथ की मौत हो गई।
परिवार का आरोप है कि पुलिस ने सोमनाथ की बेरहमी से पिटाई की थी, इस वजह से मौत हुई। लेकिन पुलिस ने आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए। हाल ही में फडणवीस ने राज्य विधानसभा में कहा था कि सोमनाथ सूर्यवंशी ने मजिस्ट्रेट को बताया था कि उन्हें प्रताड़ित नहीं किया गया और सीसीटीवी फुटेज में भी इसके सबूत नहीं मिले है।
पिछले साल 23 दिसंबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी परभणी गए थे और मृतक सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार से मुलाकात की थी। राहुल ने दावा किया था कि सोमनाथ की पुलिस ने हिरासत में हत्या की थी, क्योंकि वह दलित था और संविधान की रक्षा कर रहा था। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर भी हमला बोला था।