अधिकारियों ने बताया कि पुणे के एक 37 वर्षीय ड्राइवर की गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से मौत हो गई। पीड़ित को हाल ही में शरीर के निचले अंगों में कमजोरी की शिकायत के बाद पुणे के एक अस्पताल में लाया गया था।
मृतक पुणे में ड्राइवर के तौर पर काम करता था। निचले अंगों में कमजोरी की शिकायत के बाद उसे शुरू में शहर स्थित अस्पताल में लाया गया था। बाद में सांगली के एक अस्पताल में इलाज कराने से पहले उसके रिश्तेदारों ने 1 फरवरी को कर्नाटक के निपानी में शिफ्ट करने का फैसला किया। लेकिन वहां भी कुछ फायदा नहीं हुआ और मरीज की हालत बिगड़ती चली गई।
इसके बाद परिजनों ने 5 फरवरी को डॉक्टरों की सलाह न मानते हुए मरीज को सांगली के अस्पताल से डिस्चार्ज करवाया और फिर से पुणे के सरकारी अस्पताल कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया। जहां हालत बिगड़ती चली गई और 9 फरवरी को दिल का दौरा पड़ने से मरीज की मौत हो गई।
पुणे में GBS की दहशत
अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के 192 संदिग्ध मामलों में से 167 मरीजों में जीबीएस पाया गया। 192 मामलों में से 39 मरीज पुणे नगर निगम क्षेत्र, 91 मरीज नए जोड़े गए गांवों से, 29 पिंपरी-चिंचवड नागरिक निकाय क्षेत्र से, 25 पुणे ग्रामीण क्षेत्र से और आठ अन्य जिलों से है। इन मामलों में 91 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है, 48 आईसीयू में है और 21 वेंटिलेटर पर है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है। सभी जिला परिषदों को ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के सभी स्रोतों का रासायनिक और जैविक परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। जांच के बाद स्वच्छ एवं कीटाणुरहित पानी की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए कहा है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने लापरवाही बरतने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है।