खत्म हो रहा गिनाणी तालाब गंदगी के चलते परंपरागत जलस्रोत भी अब मच्छरों की फैक्ट्री बन गया है। बताते हैं कि इसके आसपास करीब साढ़े तीन हजार से ज्यादा घर हैं। घरों का गंदा पानी भी नालियों के रास्ते सीधा गिनाणी तालाब में गिर रहा है। हजारों घरों के पानी के साथ ही नाले के आ रहे गंदे पानी के कारण अब यह पूरा तालाब लगभग खत्म हो चुका है।
तालाब के पेटे में डाला जा रहा कचरा गिनाणी तालाब के किनारों पर चारों ओर कचरे के ढेर लगे हुए हैं। तालाब के एक सिरे से लेकर इसके अंतिम सिरे तक की गंदगी के ढेर लगे हैं। कचरा पानी में रहने के कारण लगातार सड़ता रहता है। तालाब की साफ-सफाई नहीं होती है। इसके कारण यह उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
गिनाणी तालाब क्षेत्र के लोगों की पीड़ा गिनाणी तालाब को फिर से इसके मूल स्वरूप में लाने के लिए पहला काम इसमें गंदे पानी की आवक को रोकना होगा। यह तालाब काफी बड़े एरिया में है। ऐसे में इसका पानी पूरी तरह से साफ हो गया तो फिर निश्चित रूप से आसपास का भूजल भी अच्छी स्थिति में हो जाएगा।
उमर फारुक अंसारी पहले गिनाणी तालाब का पानी बेहद मीठा था। दूर-दूर से लोग आते थे। यहां का पानी पीने के लिए लोग ले जाते थे। अब तालाब का ऐसा हो गया कि जानवर तक नहीं पी सकते।
बाबूलाल तालाब में गंदगी की वजह से पूरे माहौल में दुर्गन्ध बनी रहती है। आसपास भी गंदगी रहती है। इसकी वजह से रहना मुश्किल हो गया है। जगदीश प्रसाद अग्रवाल गिनाणी तालाब में सीधा नाले का गंदा पानी जा रहा है। नाले के पानी में तमाम गंदगियांं होती है। इसकी वजह से इसका पूरा पानी खराब हो चुका है।
मोहम्मद इकबाल तालाब के किनारों पर मलबा डाला जा रहा है। गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। इनको रोकने वाला कोई नहीं है। यहां पर साफ-सफाई होनी चाहिए। अनीसा पहले इस तालाब के किनारे मेला लगता था। यहां पर लोग भोजन भी तैयार करते थे। अब हालात बदल चुके हैं। इसके पानी की गंदगी से रहना मुंश्किल है।
रईसा