नागौर. फसल खराब होने के बावजूद क्लेम देने में आनाकानी करने वाली बीमा कम्पनियों की मनमानी को उजागर करते हुए राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना पर सवाल उठाए हैं।
गहलोत ने गुरुवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर राजस्थान पत्रिका की खबर को ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘ऐसा लगता है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केवल बीमा कंपनियों के जेब भरने की योजना बनकर रह गई है। किसान लगातार शिकायत करते हैं कि 2-3 साल पुराने फसल खराबे के क्लेम नहीं मिल रहे हैं।’ गहलोत ने लिखा कि उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर इसके संबंध में निवेदन किया था। सरकार को ऐसी मनमानी करने वाली बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर किसानों को उनका क्लेम दिलवाना चाहिए।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 2 जनवरी को ‘किसानों के लिए जी का जंजाल बनी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर किसानों की पीड़ा को उजागर किया था। खबर के माध्यम से बताया कि करोड़ों रुपए का प्रीमियम वसूलने वाली बीमा कम्पनियां फसल खराबा होने के बावजूद किसानों को क्लेम देने में आनाकानी करती है। पत्रिका की खबर को गहलोत सहित कई जागरूक लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए योजना की खामियों पर सवाल खड़े किए।
कंपनियों को मनमानी करने के अनेक अवसर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की मार्गदर्शिका सरल नहीं है। इसमें पारदर्शिता नहीं है एवं बीमा कंपनियाें को उत्तरदायी बनाने का प्रावधान नहीं है। योजना में कंपनियों को मनमानी करने का मौक दिया है। जिस फसल को बीमित किया गया है, उसके स्थान पर दूसरी फसल का उल्लेख होने से बीमा क्लेम से किसानों को वंचित करना सरल हो जाता है। किसानों से प्रीमियम वसूली किसान की सहमति लिए बिना ही करने का प्रावधान है, लेकिन क्लेम देने के लिए ठोस प्रावधानों का अभाव है। जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मार्गदर्शिका के अनुसार किसी भी खाता धारक की सहमति के बिना खाते से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। यह योजना प्रीमियम आधारित नहीं है, क्षेत्र विशेष के आधार पर तैयार की गई है। इस कारण योजना किसानों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है।
– रामपाल जाट, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान महापंचायत सरकार बीमा कम्पनियों की मनमानी पर रोक लगाए नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने पत्रिका की खबर सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों से प्रीमियम लेने के बावजूद फसल खराब होने पर क्लेम देने में बीमा कम्पनियों द्वारा आनाकानी की जाती है। आपत्तियों के नाम पर क्लेम को लंबित कर दिया जाता है। राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना जारी होने के बावजूद तहसील स्तर पर इस संबंध में गठित मॉनिटरिंग कमेटियों की बैठकों को आहुत करने में महज औपचारिकता की जा रही है। फसल बीमा करवाने वाले किसानों, क्लेम के लिए दावा करने वाले किसानों और क्लेम प्राप्त कर चुके किसानों के आकंड़ों पर जब प्रकाश डालेंगे तो बीमा कम्पनियों की ओर से की जाने वाली मनमानी और किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी सामने आएगी। सांसद बेनीवाल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से बीमा कम्पनियों की मनमर्जी पर लगाम लगाने के लिए ठोस नीति बनाते हुए अविलंब किसानों को लंबित क्लेम का भुगतान दिलाने की आवश्यकता है।
जांच रिपोर्ट जयपुर भिजवाई है खरीफ 2023 के 431 बीमा क्लेम संबंधी प्रकरणों पर बीमा कम्पनी की ओर से लगाई गई आपत्तियों की समीक्षा व जांच करके रिपोर्ट जयपुर भिजवाई है। जयपुर में 8 जनवरी को राज्य स्तरीय शिकायत निवारण कमेटी की बैठक इन प्रकरणों पर चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा।
– हरीश मेहरा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, नागौर
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