खासकर त्योहारी मौसम में जैसे दिवाली या होली के दौरान, मिलावटी खाद्य सामग्री के मामले सामने आते हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की जा रही है, जिससे उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य खतरे में पड़ रहा है। मिठाई में मिलावट और गलत जानकारी देने के मामले बढ़ गए हैं। शुद्धता की जांच के दौरान सेम्पल लेने की प्रक्रिया अक्सर धीमी होती है, और तब तक माल बिक चुका होता है, जिससे उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ता है।
शिकायत के तरीके: उपभोक्ताओं को यह जानकारी होनी चाहिए कि मिलावटी या खराब उत्पाद मिलने पर वे कहां शिकायत कर सकते हैं। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में उपभोक्ता कौंसिल और जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायत दर्ज की जा
सकती है।
गुणवत्ता की जांच: उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता की जांच करनी चाहिए, खासकर पैक्ड सामान और ऑनलाइन शॉङ्क्षपग करते वक्त।
बिल और रेट: बिल लेना उपभोक्ताओं के अधिकार की रक्षा करता है, और इसे टैक्स बचाने के बजाय अपनी सुरक्षा के तौर पर लिया जाना चाहिए।
गारंटी और वारंटी का अंतर समझें, बिल हमेशा लें।
शुद्धता और गुणवत्ता की जांच करें, खासकर खाद्य सामग्री में।
इनका कहना…
खरीदारी के समय बिल लेने के साथ गारंटी/वारंटी ही नहीं अन्य स्कीम पर भी सोच-समझ कर खरीदारी करे। माल खराब होने पर शिकायत कहां की जाए, इसकी भी जानकारी हो। बहुत से लोग अनावश्यक पचड़े में पडऩे के डर से शिकायत नहीं करते।
दीन दयाल प्रजापत, अध्यक्ष ,जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नागौर
नई पीढ़ी के लोग बेहतर खरीदारी के साथ अपने अधिकारों से भी अनजान हैं। किसी भी स्कीम के तहत सस्ता और बेहतर दिखने वाला प्रोडक्ट सही होगा, यह सोचना गलत है। कोई भी चीज खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता देखें, साथ ही गारंटी/वारंटी का सही अंतर पहचानकर बिल जरूर लें।
मोहम्मद जावेद गौरी, व्यवसायी नागौर