दो पर्चे थे, पहला सुबह नौ बजे शुरू होना था। परीक्षा देने की ललक कहें या समय पर पहुंचने की जल्दी, अधिकांश कांस्टेबल साढ़े आठ बजे ही यहां पहुंच गए। इनमें महिला कांस्टेबल भी थीं। पूरी तरह ड्रेस में इन परीक्षार्थियों के मोबाइल बाहर रखवा दिए गए, साथ ही बड़ी-बड़ी परीक्षाओं की तरह कोई भी सामग्री भीतर नहीं ले जाने दी। परीक्षा का कार्य संभाल रहे एएसपी नूर मोहम्मद व प्रवेंद्र महला के निर्देश पर परीक्षार्थियों को कमरे तक पहुंचने के लिए जांच से भी गुजारा गया। पहला पर्चा कानून प्रक्रिया से जुड़ा था।
इन परीक्षार्थियों को स्कूल के नौ कमरों में बिठाया गया। हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा था। इसके बावजूद एक-एक पुलिसकर्मी को अलग से वीडियोग्राफी के लिए लगाया गया था। कांस्टेबल राकेश सांगवा, करण समेत नौ पुलिसकर्मी तीन-तीन घंटे लगातार वीडियोग्राफी करते मिले। यही नहीं नागौर सीओ रामप्रताप विश्नोई, मूण्डवा सीओ गोपाल सिंह ढाका, टैफिक सीओ उम्मेद सिंह समेत कई थाना प्रभारी परीक्षा रूम में परीक्षक की भूमिका में दिखे। इधर-उधर बातचीत करने से लेकर किसी भी हरकत पर टोकने में भी किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान एसपी नारायण टोगस भी पहुंचे और यहां की व्यवस्था का जायजा लिया। दोपहर दो से पांच बजे तक दूसरा पर्चा व्यावहारिक पुलिसिंग का हुआ।
किसी को पर्चा सरल लगा तो किसी को कठिन परीक्षा देकर बाहर निकले परीक्षार्थियों से पर्चे के संबंध में बातचीत हुई तो किसी ने सरल तो किसी ने कठिन बताया। महिला कांस्टेबल पूनम, मिथिलेश, सुमन आदि का कहना था कि दोनों पर्चे ज्यादा मुश्किल तो नहीं थे पर काफी समय बाद परीक्ष देने बैठे थे तो थोड़ा असहज तो थे। कांस्टेबल बुधाराम का कहना था कि पर्चों में प्रेक्टिकल पर ज्यादा फोकस किया गया था। हरिराम गोदारा ने कहा कि पर्चे बढिय़ा रहे। इधर कई परीक्षार्थी पचास से अधिक की उम्र वाले भी थे। इनमें से कई ये भी बोले कि जो आता था लिख दिया अब अगला काम तो कॉपी जांचने वाला करेगा। नई धारा के संबंध में कुछ सवाल कठिन लगे। यह भी सामने आया कि कुछ परीक्षार्थियों को लिखने में परेशानी आई, वो इसलिए भी कि उनकी प्रेक्टिस ही नहीं रही।
प्रिंसिपल रूम बना कंट्रोल रूम स्कूल के प्रिंसिपल रूम में तमाम सीसीटीवी कैमरों पर बारीकी से निगाह रखी जा रही थी। इस दौरान पहले पर्चे के दौरान एक घंटे बाद ही एक परीक्षार्थी ने जाने की इच्छा जताई, इस पर सदर थाना प्रभारी सुरेश कस्वां, आरआई छीतर सिंह ने एतराज जताया। इसके बाद भी वो जाने की जिद पर अड़ गया। इस पर एएसपी प्रवेंद्र महला की समझाइश के बाद उसे वहीं बैठे रहने के निर्देश दिए गए।
…उधेड़बुन में परीक्षार्थी हैड कांस्टेबल के 31 रिक्त पदों के लिए भले ही शनिवार को को पदोन्नति परीक्षा हुई पर इसके आदेश/परिणाम जोधपुर हाईकोर्ट में दायर याचिका के अधीन रहने के आदेश हुए हैं। सायरी विश्नोई समेत एक दर्जन कांस्टेबल की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस दिनेश मेहता के इस फैसले से क्या परीक्षा परिणाम अथवा पदोन्नति प्रभावित होगी, इस पर उलझन बनी हुई है। इस संबंध में भी कई परीक्षार्थी आपस में तर्क देते मिले।
करीब सात साल बाद हुई पदोन्नति परीक्षा… इसी पदोन्नति/वरिष्ठता के चलते लगाई गई एक याचिका से छह-सात साल पदोन्नति रुक सी गई थी। बाद में काल्पनिक पद पर सरकार की सहमति से मामला सुलझा। पिछले साल सितम्बर से हैड कांस्टेबल व एएसआई पद के लिए पदोन्नति परीक्षा शुरू हुई। बल शाखा प्रभारी दिनेश बताते हैं कि नागौर (डीडवाना-कुचामन) कांस्टेेबल से 22 हैड कांस्टेबल पदोन्नत हुए तो हैड कांस्टेबल से एएसआई पद पर 65 पदोन्नत तो हो गए हैं पर 33 की ट्रेनिंग अभी बाकी है।
इनका कहना कांस्टेबल से हैड कांस्टेबल की पदोन्नति परीक्षा शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गई। हर कमरे में सीसीटीवी कैमरे था तो एक-एक पुलिसकर्मी ने भी लगातार वीडियोग्राफी की। कॉपियां अजमेर भेज दी गई है, दो-तीन दिन में परिणाम आ जाएगा।
-नूर मोहम्मद, एएसपी सिकाऊ नागौर