पुल सुरक्षित है या नहीं, इसकी जांच हो मित्तल ने पत्र में लिखा कि सड़क सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय की समिति की ओर से सभी राज्यों- संघ शासित प्रदेशों को निर्देश दिया गया था कि वे एनएचएआई के खंडों पर पुलों सहित राज्यों के भीतर सभी पुलों की जांच करें, ताकि यह देखा जा सके कि वे सुरक्षित हैं या नहीं। साथ ही पुलों की मरम्मत, प्रतिस्थापन के लिए एक वार्षिक कार्यक्रम का मसौदा तैयार करें। इसमें यह बताया जाए कि आईआरसी मानकों के अनुरूप कब तक बनाया जाएगा।
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी देखना होगा समिति ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए कि अपने राज्यों – केंद्र शासित प्रदशों में सभी पुलों व पुलियों की नियमित रूप से, समय-समय पर, कम से कम तीन वर्ष में एक बार लेखा परीक्षा कराने के लिए नीति बनाएं, जिसकी सूचना एससीसीओआरएस को दी जाए।
पीडब्ल्यूडी, परिवहन एवं सड़क विभाग को लिखा पत्र सड़क सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय समिति, नई दिल्ली से राज्य सरकार को पत्र मिलने के बाद संयुक्त शासन सचिव (गृह) महेन्द्र कुमार खींची ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के शासन सचिव को पत्र लिखा है। खींची ने पत्र में कहा कि एससीसीओआरएस ने पुलों और पुलियाओं की कम से कम 3 वर्षों में एक बार नियमित ऑडिट करने के निर्देश की पालना रिपोर्ट मांगी है। इसलिए विभाग स्तर से आवश्यक कार्रवाई करवाकर, रिपोर्ट से सडक़ सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय समिति, नई दिल्ली को अवगत करवाएं।
एक्सपर्ट कमेंट जिम्मेदार विभाग गंभीर नहीं भारत में प्रतिवर्ष डेढ़ लाख मौतें सड़क हादसों में होती हैं, जो विश्व में सबसे अधिक है। गत दिनों देशनोक पुल पर सड़क हादसे में एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई। नागौर के मानासर आरओबी पर आए दिन हादसे होते हैं, जिनमें चार-पांच लोगों की मौत हो चुकी है। एक तेजाब से भरा टैंकर पलट गया था। यह सब घटनाएं रोड इंजीनियरिंग की खामी व नियमों की अनदेखी के कारण होती है। सड़क हादसों को रोकने व कमियों में सुधार के लिए सड़क सुरक्षा पर सर्वोच्च न्यायालय समिति गंभीर है। जिम्मेदार एजेंसी जैसे पीडब्ल्यूडी या एनएचएआई को चाहिए कि जब भी कोई पुल या सड़क बने तो उसकी डीपीआर व नक्शे को लेकर प्रशासन व अन्य सड़क सुरक्षा समन्वय रखने वालों के समक्ष उसको लेकर बैठक में चर्चा हो। इसमें जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए, ताकि निर्माण की सबको जानकारी हो। अन्यथा जिम्मेदार कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मनमर्जी से डिजाइन बदल देते हैं, जिसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।
– नासिर हुसैन, हाइवे कंसलटेंट, नागौर।