नागौर. शहर के ऐतिहासिक प्रतापसागर तालाब की पाल पर स्थित प्राचीन जबरेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन शिव भक्तों की आस्था कहीं बड़ी है। कुछ वर्ष पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया।
पिछले करीब 50-60 साल से यहां पूजा करने आ रहे महेश कुमार सेन ने बताया कि मंदिर में स्थापित भव्य व सुंदर मूर्ति इस मंदिर के सामने स्थित बड़लेश्वर महादेव मंदिर के लिए बनी थी, जबकि बड़लेश्वर में स्थापित मूर्ति इस मंदिर के लिए बनाई गई थी। मूर्ति बनाने वाला कारीगर एक ही था, इसलिए मूर्ति बदल गई और स्थापित होने के बाद पता चला, इसलिए इस मंदिर का नाम जबरेश्वर महादेव रखा गया, वहीं सामने के मंदिर में बड़ का बड़ापेड़ था, इसलिए उसका नाम बड़लेश्वर रखा गया। दोनों मंदिरों में मूर्तियों की स्थापना शंकराचार्य जनार्दन गिरी ने करवाई। यह मंदिर रेलवे स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर में पूरे सावन माह में अभिषेक किया जाता है। सावन सोमवार को विशेष शृंगार किया जाता है।
अखाड़े में व्यायाम करके कई लोग बने सरकारी नौकर शिक्षक ओमप्रकाश सेन ने बताया कि जबरेश्वर महादेव मंदिर परिसर में पिछले कई सालों से अखाड़ा चलता है। यहां शहर के बच्चों से लेकर बड़े व्यायाम करने आते हैं। यहां व्यायाम करने का लगभग सारा सामान है। यहां व्यायाम करने वाले ज्यादातर लोग किसी ने किसी रोजगार से जुड़ गए। साथ ही कई लोग सरकारी सेवा में हैं।
Hindi News / Nagaur / वीडियो : नागौर के इस मंदिर की अनूठी कहानी, मूर्ति बदली तो नाम पड़ा जबरेश्वर महादेव