5 हजार करोड़ से अधिक राशि से बनाया जाएगा
98.41 किलोमीटर लंबे इस ग्रीनफील्ड हाइवे की अनुमानित लागत 5,017 करोड़ रुपए रखी गई है, जिसमें से 557 करोड़ रुपए का व्यय सड़क विकास निगम वहन करेगा, जबकि शेष 4,460 करोड़ रुपए राज्य सरकार के बजट से प्राप्त होंगे। एमपीआरडीसी के अधिकारियों के अनुसार, निविदा प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद उपयुक्त दर वाली कंपनी को ठेका सौंपा जाएगा। सरकार का लक्ष्य सिंहस्थ महाकुंभ 2028 से पूर्व इस मार्ग को चालू करने का है, अत: ठेका मिलने के बाद निर्माण एजेंसी को 2 वर्षों में कार्य पूर्ण करना अनिवार्य होगा।
हाइवे से कम होगी दूरी, बचेगा समय
नई सड़क बनने के बाद दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के रास्ते राजस्थान और गुजरात से आने-जाने वाले यात्री सीधे उज्जैन तक पहुंच सकेंगे। वर्तमान में जावरा बड़ावदा-नागदा मार्ग से उज्जैन पहुंचने में दो घंटे से अधिक का समय लगता है, जबकि नए ग्रीनफील्ड हाइवे से यह दूरी मात्र 30 मिनट में तय की जा सकेगी। सिंहस्थ के दौरान अत्यधिक ट्रैफिक को देखते हुए यह हाइवे दुर्घटनाओं की संभावना को भी कम करेगा। यह भी पढ़े –
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यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के अंतर्गत हाइब्रिड एन्यूटी आधार पर तैयार किया जाएगा। इसमें 7 बड़े और 26 छोटे पुल, 270 पुलिया, 5 फ्लायओवर और 2 रेलवे ओवरब्रिज प्रस्तावित हैं। यह मार्ग 49 से अधिक गांवों से होकर गुजरेगा, जिनमें नागदा, खाचरौद और उन्हेल तहसील के 30 गांय प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनमें निम्बोदिया खुर्द, पांसलोद, भाटीसुडा, आक्यानजीक, झिरनिया, पिपलिया डाबी, लसूडिया चुवंड, पिपलियाशीष, नवादा, कुंडला, नागझिरी, भाटखेड़ी, बंजारी, टुमनी, मीण, घिनौदा आदि गांय सम्मिलित हैं।
500 पेज की डीपीआर शासन को भेजी गई
उज्जैन एमपीआरडीसी के महाप्रबंधक एसके मंगवानी ने कहा कि ‘परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार कर शासन को भेज दी गई है, जिसमें हाइवे के तकनीकी, वित्तीय और भौगोलिक पहलुओं का विस्तृत विवरण है। यह डीपीआर लगभग 500 पृष्ठों की है। रिपोर्ट स्वीकृत होते ही परियोजना के लिए बजट आवंटन सुनिश्चित किया जाएगा। 13 व नेयों ने टेंडर डाले हैं। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि टेंडर कब खोले जाएंगे।’