गो अभयारण्य की योजना ठंडे बस्ते में
वहीं जिले में करीब 36 गोशालाएं ऐसी हैं जो बनकर तो तैयार बताईं जा रहीं हैं, लेकिन इनको शुरू कराने के लिए कार्रवाई धीमी गति से चल रही है। वहीं कुछ पुरानी गोशालाएं भी बंद पड़ी हैं। जिले में गोवंश के लिए गोअभयारण्य बनाने की योजना पर शासन-प्रशासन गंभीरता से कार्य नहीं कर पा रहा है। जिससे गोवंश की दुर्दशा हो रही है उसे न तो गोशालाओं में आश्रय मिल पा रहा है और ना ही सुरक्षित विचरण के लिए कोई स्थान तय है। बताया जाता है कि जिले के ग्राम बरमानखुर्द, खामघाट और शाहपुर में पशु चिकित्सा विभाग के पास कुछ जमीन भी अभयारण्य के लिए निर्धारित है, लेकिन इसके बाद भी यहां कोई कार्य नहीं हो सका है और न ही कार्य कराने की कोई योजना बन सकी।
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नरसिंहपुर. जिले में गोवंश की सुरक्षा और संवर्धन के लिए न तो गो अभयारण्य तैयार करने की कार्ययोजना परवान चढ़ रही है और न ही गोशालाओं के संचालन की स्थिति सुधर रही है। जबकि कई स्थानों पर गो अभयारण्य के लिए पशु चिकित्सा विभाग के लिए जमीन भी मौजूद है। जिले की गोटेगांव तहसील में जरूर दो स्थानों पर अभयारण्य तैयार करने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई है लेकिन अभयारण्य कब तक तैयार हो सकेगा इस पर संशय है। वहीं जिले में करीब 36 गोशालाएं ऐसी हैं जो बनकर तो तैयार बताईं जा रहीं हैं, लेकिन इनको शुरू कराने के लिए कार्रवाई धीमी गति से चल रही है। वहीं कुछ पुरानी गोशालाएं भी बंद पड़ी हैं। जिले में गोवंश के लिए गोअभयारण्य बनाने की योजना पर शासन-प्रशासन गंभीरता से कार्य नहीं कर पा रहा है। जिससे गोवंश की दुर्दशा हो रही है उसे न तो गोशालाओं में आश्रय मिल पा रहा है और ना ही सुरक्षित विचरण के लिए कोई स्थान तय है। बताया जाता है कि जिले के ग्राम बरमानखुर्द, खामघाट और शाहपुर में पशु चिकित्सा विभाग के पास कुछ जमीन भी अभयारण्य के लिए निर्धारित है, लेकिन इसके बाद भी यहां कोई कार्य नहीं हो सका है और न ही कार्य कराने की कोई योजना बन सकी। गोटेगांव तहसील के गोरखपुर, बेलखेड़ी में अभयारण्य के लिए जगह चिह्नांकन की प्रक्रिया पशु चिकित्सा विभाग शुरू कर राजस्व विभाग से पत्राचार किया जा रहा है।
निगरानी में कोताही पड़ रही व्यवस्था पर भारी
जिले में पूर्व से बनी एवं नई स्वीकृत गोशालाओं की संख्या करीब 81 है इनमें शासकीय गोशालाएं 46 ही संचालित हैं। वहीं 11 गोशालाएं एनजीओ की हैं। जब गोशाला निर्माण की योजना शुरू हुई थी उस दौरान करीब 27 लाख 72 हजार रुपए प्रति गोशाला निर्माण के लिए राशि स्वीकृत थी जो बाद में बढकऱ करीब 38 लाख हो गई, लेकिन न तो गोशालाओं के संचालन की स्थिति सुधरी न ही गोवंश को क्षमता अनुसार इनमें आश्रय मिल पा रहा है। जानकारी अनुसार नवीन गोशालाओं में नरसिंहपुर ब्लाक में बनी 12 में से एक गोशाला ही चालू हो सकी है और 11 गोशालाओं का चालू होना शेष है। इसी तरह गोटेगांव ब्लाक में 14 में से 10, करेली ब्लाक में 3, चीचली में 7, साइखेड़ा में 7 और चांवरपाठा ब्लाक में 6 गोशालाओं का
चालू होना शेष है।
इनके चालू न होने के पीछे पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी पंजीयन एवं अन्य प्रक्रिया पूरी न होना, पंचायतों द्वारा इनको शुरू करने में रुचि न लिया जाना बता रहे हैं।
गोशालाओं में गोवंश कितना स्थिति स्पष्ट नहीं
शासन ने गोशालाओं के लिए प्रति गोवंश 20 रुपए की राशि तय की है, गोवंश की जानकारी भी पोर्टल पर दर्ज हो रही है। जिससे संचालिक कई गोशालाओं में पोर्टल पर तो दर्ज गोवंश की जानकारी अधिक दर्शा दी जाती है, लेकिन वास्तविकता में गोशालाओं में गोवंश की संख्या कम होती है। गोशालाओं में रहने वाले गोवंश की वास्तविक पता करने के लिए जिनको जिम्मेदारी दी गई है वह भी सही ढंग से निगरानी नहीं कर पा रहे हैं। बताया जाता है कि गोशाला संचालको को भी बीते अक्टूबर-नवंबर माह से राशि नहीं मिली है। बीते महिनों तक गोशालाओं में मौजूद गोवंश की संख्या करीब 3200 के आसपास बताई जा रही है।
दो स्थानों पर गो अभयारण्य के लिए राजस्व विभाग से पत्राचार हो रहा है। जो नई गोशालाएं चालू नहीं हो पा रहीं हैं उनमें कई वजह हैं, पंजीयन व अन्य सुविधाएं होना शेष है, कुछ पंचायतें भी शुरू करने में रुचि नहीं ले रहीं हैं।
डॉ. असगर खान,
उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं नरङ्क्षसहपुर
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