70 साल में 83% पानी गायब
पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के रिसर्चर ने पाकिस्तान की वाटर डायनामिक्स पर एक रिसर्च किया है. इस रिसर्च के मुताबिक 1951 में पाकिस्तान में हर शख्स के हिस्से में 5,260 घन मीटर पानी था, यानी 5 मिलियन लीटर से ज़्यादा. आज यह आंकड़ा गिरकर 877 घन मीटर पर आ गया है. यानी 83% की गिरावट आई है और आगे इसमें और कमी आएगी. 2025 में ये गिरावट 800 घन मीटर तक पहुंच जाएगी यानी सिर्फ 800,000 लीटर सालाना, जिसमें से 80% तो खेती में ही खर्च हो जाता है. बचे सिर्फ 160,000 लीटर सालाना एक आदमी के लिए यानी 438 लीटर/दिन, जिसमें सब कुछ शामिल है- मसलन पीने का पानी, नहाना, खाना पकाना, सफाई और दूसरे काम में पानी का इस्तेमाल. अध्ययन के मुताबिक पाकिस्तान के शहरी इलाकों में नहाने से लेकर पीने के पानी का औसत खर्च प्रति व्यक्ति 175 से 200 लीटर है. जबकि ग्रामीण इलाकों में यह खर्च 100 से 120 लीटर तक है.
आबादी बढ़ी, पानी घटा
पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा आबादी वाला देश है और इसकी जनसंख्या हर साल 1.75% की दर से बढ़ रही है. 2025 तक आबादी 225 मिलियन को छू लेगी और 2050 तक ये आंकड़ा और भी ऊपर जाएगा. इस तेजी से बढ़ती आबादी के साथ पानी की मांग हर साल औसतन 10% बढ़ रही है. लेकिन संकट सिर्फ मांग का नहीं है. रिसर्च के अनुसार पानी की उपलब्धता जस की तस है-सिर्फ 240–258 घन किमी, जबकि 2025 तक मांग बढ़कर 338 घन किमी तक पहुंच जाएगी. यानी सप्लाई पुराने स्तर पर है, लेकिन आबादी बढ़ने से मांग भी बढ़ रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 500 घन मीटर प्रति व्यक्ति प्रति साल से कम पानी की उपलब्धता के मायने हैं-‘वास्तविक किल्लत’. पाकिस्तान 2025 में 800 घन मीटर पर होगा और 2050 तक ये और गिरेगा. इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों, किसानों और छोटे शहरों पर पड़ेगा.
बढ़ता शहरीकरण, घटता पानी
2025 तक अर्बन आबादी में 52% की बढ़ोतरी की उम्मीद है. शहरों में बेतहाशा कंस्ट्रक्शन, बोरवेल और पानी को दोबारा इस्तेमाल लायक न बनाना, सब मिलकर पाकिस्तान की अवाम के हालात और बिगाड़ेंगे.
क्या कहते हैं जानकार
भारत पाक संबंधों के एक्सपर्ट चंद्रभूषण के मुताबिक-‘पानी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता भारत में भी तेजी से कम हो रही है, लेकिन पाकिस्तान में जल्द ही यह संकट के स्तर तक पहुंच सकती है. इससे बड़ी बात यह कि भारत द्वारा पाकिस्तान का पानी रोक दिए जाने का खौफ वहां शुरू से एक लोकप्रिय मुद्दा रहा है. मंटो का इस बारे में नेहरू को लिखा गया पत्र काफी चर्चित हुआ था. कश्मीर और आतंकवाद के बाद दोनों मुल्कों की आपसी कटुता का यह तीसरा बिंदु है लेकिन विश्व स्तर पर यह भारत के खिलाफ ही जाता है.’ राजनयिक मामलों के जानकार रंजीत कुमार बताते हैं-‘पड़ोसी मुल्क का जनजीवन भारत से होकर पाकिस्तान जाने वाली नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर निर्भर है. पाकिस्तान इन नदियों के पानी का पूरा इस्तेमाल कर सके, इसके लिए उसे भारत से हमेशा सहयोग पूर्ण रिश्ता बनाए रखना होगा. पाकिस्तान के इलाकों में वैसे ही पानी का संकट रहता है, जब भारत से होकर बहने वाली नदियों के पानी की सपलाई क्रम हो जाएगी तो पाकिस्तान में पानी का अकाल होना स्वाभाविक होगा. कश्मीर में आतंक वादी हमलों के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित करने का ऐलान किया है. इसका पाकिस्तान पर तुरंत कोई असर नहीं होगा लेकिन पाकिस्तान को इसे चेतावनी के तौर पर लेना चाहिए और भविष्य में पाकिस्तान को अकाल की स्थिति से बचने के लिए भारत के साथ रिश्तों को सौहार्दपूर्ण बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाने होंगे.’
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के सदस्य सीडी सहाय के मुताबिक-‘सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को जरूरत से ज्यादा पानी मिल रहा है. भारत ने कई बार विश्व बैंक से कहा है कि संधि पर दोबारा विचार करना चाहिए ताकि पानी का बराबर बंटवारा हो सके.’