IIT मद्रास कर रहा निर्माण
रेल मंत्रालय की ओर से वित्तपोषित इस परियोजना का निर्माण आईआईटी मद्रास (IIT Madras) परिसर में किया गया था। उत्साहित अश्विनी वैष्णव ने बताया, “422 मीटर का पहला पॉड टेक्नोलॉजीज के विकास में एक लंबा रास्ता तय करेगा। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है जब एक-एक मिलियन डॉलर के पहले दो अनुदानों (Gratns) के बाद, एक मिलियन डॉलर का तीसरा अनुदान IIT मद्रास को हाइपरलूप परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए दिया जाएगा।” रेलवे जल्द ही पहली वाणिज्यिक परियोजना शुरू करने की योजना बना रहा है।
हाइपरलूप ट्रैक क्या है?
‘पांचवें परिवहन मोड’ के रूप में हाइपरलूप लंबी दूरी की यात्रा के लिए एक हाई स्पीड ट्रास्पोर्ट सिस्टम है। यह वैक्यूम ट्यूबों में स्पेशल कैप्सूल के माध्यम से ट्रेनों की स्पीड को बहुत तेज करता है। एक प्रेस रिलीज में बताया, “हाइपरलूप में एक निर्वात ट्यूब के भीतर विद्युत चुंबकीय रूप से उत्तोलित होने वाला पॉड शामिल है, जो घर्षण और वायु प्रतिरोध को समाप्त करता है तथा पॉड को मैक 1.0 तक की गति तक पहुंचने की अनुमति देता है।” एक दिन में एक मैक की स्पीड समुद्र तल पर लगभग 761 मील प्रति घंटा होती है। हाइपरलूप की विशेषता
हाइपरलूप की विशेषता के बारे में बताया, “हाइपरलूप की विशेषता यह होगी कि यह मौसम के प्रति प्रतिरोधी होगा। हाइपरलूप में एक्सीडेंट नहीं होगा। हाइपरलूप विमान की गति से दोगुनी सपीड से चलेगा, इसमें बिजली की खपत कम होगी और 24 घंटे परिचालन के लिए ऊर्जा भंडारण की सुविधा होगी।”