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LG ने J&K के तीन और सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, CM उमर अब्दुल्ला ने कहा- उन्हें बेगुनाही साबित करने का मौका मिलना चाहिए

जम्मू-कश्मीर में 2021 के बाद से ऐसी बर्खास्तगी की कुल संख्या 79 हो गई है। इस डेटा में अक्टूबर 2024 में नई उमर अब्दुल्ला सरकार के सत्ता में आने के बाद से पांच बर्खास्तगी भी शामिल हैं।

जम्मूFeb 15, 2025 / 06:53 pm

Akash Sharma

Jammu Kashmir CM Omar Abdullah and LG Manoj Sinha

Jammu Kashmir CM Omar Abdullah and LG Manoj Sinha

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पुलिस कांस्टेबल, स्कूल शिक्षक और एक वन विभाग के कर्मचारी की सेवाएं कथित आतंकवादी संबंधों का हवाला देते हुए शनिवार को समाप्त कर दीं। पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट के अलावा जिन अन्य लोगों की सेवाएं समाप्त की गईं, उनमें शिक्षक मोहम्मद अशरफ भट और राज्य वन विभाग के अर्दली निसार अहमद खान शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के LG के इस एक्शन पर CM उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बर्खास्त सरकारी कर्मचारियों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए।

तीनों सरकारी कर्मचारियों आतंकवाद के लिए करते थे काम

– अधिकारियों के अनुसार फिरदौस अहमद भट को 2005 में विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था और 2011 में वह पुलिस कांस्टेबल बन गया। इसके बाद उसे जम्मू-कश्मीर पुलिस की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई में एक संवेदनशील पद पर तैनात किया गया। सुरक्षा सूत्रों का दावा है कि वह कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता था और “गोपनीय जानकारी” शेयर करता था।
– निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के रूप में शामिल हुए थे और वे अनंतनाग के वेरीनाग स्थित वन रेंज कार्यालय में अर्दली के पद पर तैनात थे। उन पर 2000 में हिजबुल मुजाहिदीन से संबंध रखने का आरोप लगाया गया, जब तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के बिजली मंत्री गुलाम हसन भट और दो पुलिसकर्मी बारूदी सुरंग विस्फोट में मारे गए थे। निसार अहमद खान को आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और आरोप पत्र दाखिल किया गया था, लेकिन 2006 में उन्हें बरी कर दिया गया था।
-रियासी निवासी मोहम्मद अशरफ भट को 2000 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। रहबर-ए-तालीम शिक्षकों को पहले पांच साल के लिए अस्थायी आधार पर नियुक्त किया जाता था। लेकिन जून 2013 में इसे नियमित कर दिया गया। सुरक्षा सूत्रों का दावा है कि वह लश्कर-ए-तैयबा का एक ओवरग्राउंड वर्कर था।

अनुच्छेद 311(2)(C) के तहत किया बर्खास्त

अधिकारियों के अनुसार, जब कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों ने उनके आतंकवादी संबंधों को उजागर कर दिया तब तीनों सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं तब समाप्त कर दी गईं। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्त किया गया, जो राष्ट्रपति या राज्यपाल को किसी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच के बर्खास्त करने का अधिकार देता है। कंडीशन यह होती है कि बर्खास्तगी का आरोप राज्य की सुरक्षा के हित में लिया गया हो है। बता दें कि 2021 के बाद से ऐसी बर्खास्तगी की कुल संख्या 79 हो गई है। इस डेटा में अक्टूबर 2024 में नई उमर अब्दुल्ला सरकार के सत्ता में आने के बाद से पांच बर्खास्तगी भी शामिल हैं।

कर्मचारियों पर लगे ये आरोप

फिरदौस अहमद भट को पिछले साल मई में आतंकवादी होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वे कोट भलवाल जेल में बंद है। निसार अहमद खान को वर्ष 2000 में तत्कालीन नेशनल कॉन्फ्रेंस के मंत्री की हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था और बाद में बरी कर दिया गया था। वह 2022 से आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में जेल में है।

जम्मू-कश्मीर के CM कही ये बात

जम्मू-कश्मीर के CM उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बर्खास्त सरकारी कर्मचारियों को अपनी बेगुनाही साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उनके खिलाफ सबूत हैं तो उन्हें अपने आरोपों पर क्लियर करने का मौका दिया जाना चाहिए। अगर वे विफल रहे हैं, तो उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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