गाजियाबाद में भी आया भूकंप
भूकंप के झटके रविवार देर शाम 8:47 बजे महसूस किए गए। इसी दिन उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी भूकंप आया, जिसकी तीव्रता 2.8 थी। एनसीएस ने बताया कि इसका केंद्र भी 10 किलोमीटर की गहराई में था। वहीं, इससे पहले 17 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में सुबह 5:36 बजे तेज झटके महसूस हुए थे। उस भूकंप की तीव्रता ज्यादा थी और केंद्र नई दिल्ली में 5 किलोमीटर की गहराई पर था। झटके इतने तेज थे कि सोए हुए लोग जाग गए और जाग रहे लोगों में दहशत फैल गई। अधिकारियों का कहना है कि इस इलाके में हर दो-तीन साल में हल्के भूकंप आते रहते हैं। इससे पहले 2015 में यहां 3.3 तीव्रता का भूकंप आया था।
क्यों आते हैं भूकंप?
भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती की सतह सात बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी है। ये प्लेट्स हमेशा हिलती-डुलती रहती हैं और कभी-कभी आपस में टकरा जाती हैं। टक्कर से प्लेट्स के किनारे मुड़ सकते हैं या दबाव से टूट सकते हैं। जब ऐसा होता है, तो नीचे जमा ऊर्जा बाहर निकलने का रास्ता तलाशती है, और यही ऊर्जा भूकंप का कारण बनती है। हाल के इन भूकंपों से साफ है कि भारत के कई हिस्से भूकंपीय जोन में हैं। कुपवाड़ा और दिल्ली जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा बना रहता है, लेकिन राहत की बात यह है कि अभी तक कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। फिर भी, लोगों को सतर्क रहने और भूकंप से बचाव के तरीकों—like मजबूत इमारतें बनाना और आपात स्थिति के लिए तैयार रहना—को अपनाने की जरूरत है। आप क्या सोचते हैं, क्या इन छोटे झटकों को हमें गंभीरता से लेना चाहिए या यह सामान्य बात है?