क्या है HC का फैसला
हाईकोर्ट ने कहा कि कानून महिलाओं की रात में गिरफ्तारी को प्रतिबंधित करता है, सिवाय असाधारण परिस्थितियों में। ऐसी परिस्थितियों में क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि कानून में ‘असाधारण परिस्थिति’ की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है। “सलमा बनाम राज्य” मामले का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि इससे पहले एकल न्यायाधीश ने महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर दिशानिर्देश बनाए थे, लेकिन खंडपीठ ने उन्हें अपर्याप्त करार दिया और पुलिस अधिकारियों के लिए अधिक स्पष्टता की आवश्यकता बताई।
BNS की धारा 43 में संशोधन करें
अदालत ने पुलिस विभाग को यह निर्देश दिया कि वे स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करें, जिनमें यह स्पष्ट हो कि किन परिस्थितियों में रात के समय महिला की गिरफ्तारी की जा सकती हैं? इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने राज्य विधानसभा को सुझाव दिया कि वे भारतीय न्याय संहिता की धारा 43 में संशोधन करें, जैसा कि भारतीय विधि आयोग की 154वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी।
एकल न्यायाधीश के आदेश रद्द
विजयलक्ष्मी को 14 जनवरी 2019 की रात 8 बजे मदुरै पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति नहीं ली गई। इस पर कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें निरीक्षक अनीता और हेड कांस्टेबल कृष्णवेनी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। हालांकि, कोर्ट ने उपनिरीक्षक दीपा के खिलाफ कार्रवाई को बरकरार रखा क्योंकि उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था।
पुलिस के लिए जारी होंगे दिशानिर्देश
हाईकोर्ट इस फैसले पर पुलिस को इसका गलत फ़ायदा न उठाने की बात कहती है। बिना वजह किसी महिला को रात में गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए पुलिस को और साफ़ दिशानिर्देश बनाने की ज़रूरत है। ताकि पुलिसवालों को पता चले कि कब वो नियम तोड़ सकते हैं और कब नहीं। यह फ़ैसला महिलाओं की सुरक्षा और पुलिस की ज़िम्मेदारी के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है। देखना होगा कि आगे क्या होता है और पुलिस कैसे नए दिशानिर्देश बनाती है।