भारतीय महिलाओं की नेतृत्व भूमिकाओं को कैसे देखती हैं?
महिलाएं समाज की अत्यंत शक्तिशाली शक्ति हैं। जैसे-जैसे उन्हें अधिक समानता और अधिकार मिलेंगे, दुनिया और सुंदर हो जाएगी। महिलाओं को आत्मविश्वास बढ़ाने और एक-दूसरे का समर्थन करने की जरूरत है। जब वे बहुआयामी क्षमताओं को हर क्षेत्र में लेकर आएंगी तो समाज अधिक सामंजस्यपूर्ण और प्रेमपूर्ण बनेगा।
‘समग्र सफलता’ को कैसे परिभाषित करेंगी?
सिर्फ आर्थिक सफलता पर्याप्त नहीं है। खुशी और संतोष भी जरूरी है। मैं आर्थिक और भावनात्मक सशक्तीकरण के जरिए मानव कल्याण को बढ़ाने में विश्वास रखती हूं। सफलता धन और शक्ति से नहीं, इस बात से तय होती है कि हम इंसान के रूप में कैसे हैं और समाज को क्या योगदान देते हैं। भारत से अमरीका जाकर सफल बिजनेस लीडर तक की यात्रा कैसी रही?
कॅरियर के शिखर पर लिया बढ़ा फैसला
जीवन में कई मोड़ ने मुझे अमरीका पहुंचाया। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में प्रोफेसर स्वामीनाथन ने मुझे बिजनेस स्कूल में आवेदन के लिए प्रेरित किया। बिजनेस स्कूल में प्रो. भट्टाचार्य ने पीएचडी और मैकिन्सी से जुडऩे का रास्ता दिखाया। जब कॅरियर के शिखर पर थी, मैकिन्सी छोडक़र खुद की कंपनी शुरू करने का निर्णय किया। यह आसान नहीं था, लेकिन मैंने कभी सीमाओं को नहीं देखा, बल्कि उन्हें पार करने की चुनौती स्वीकार की। अपने व्यवसाय और वित्त क्षेत्र में कॅरियर शुरू किया। संगीत और परोपकार की प्रेरणा कहां से मिली?
बचपन से संगीत से जुड़ी
मैं बचपन से संगीत से जुड़ी रही हूं। व्यापार की दुनिया में व्यस्त होने के कारण संगीत का आनंद देर रात ही ले पाती थी। करीब 25 साल पहले संगीत पर फोकस का निर्णय किया, क्योंकि इससे मुझे अपार आनंद मिलता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत मन की गहराई में उतरने की मांग करता है। इसे अपनाने के साथ मैंने अपना जीवन सेवा के लिए समर्पित करने का फैसला किया।
आपकी भावी योजनाएं क्या हैं?
मैं नए एलबम ‘सोल एक्स्टेसी’ पर काम कर रही हूं। इसमें हरे राम-हरे कृष्ण महामंत्र को आठ रागों में प्रस्तुत किया गया है। मुझे हाल ही यंग पीपल्स कोरस ऑफ न्यूयॉर्क में आर्टिस्ट-इन-रेजिडेंस के रूप में नियुक्त किया गया है, जहां युवा आवाजों के लिए प्रेरणादायक संगीत तैयार करूंगी। भारत को शिक्षा और रोजगार में लिंगानुपात की खाई पाटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
महिलाएं अपनी शक्ति को पहचाने
भारत महिलाओं को देवी के रूप में पूजता है, लेकिन कई वर्गों में अब भी पूर्वाग्रह हैं। हमें नीतियों और सांस्कृतिक मानदंडों में बदलाव लाने के साथ महिलाओं को अपनी शक्ति पहचानने के लिए प्रेरित करना होगा। कभी खुद को सीमाओं में नहीं बांधा महिला के रूप में व्यवसाय में किन चुनौतियों का सामना किया?
समर्पण, मेहनत और आस्था से मिली राह
मैंने कभी खुद को सीमाओं में बांधकर नहीं देखा। जब मैकिन्सी में काम शुरू किया तो न अमरीकी शिक्षा का अनुभव था, न वहां की संस्कृति की समझ। खुद को पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से विकसित करना पड़ा। पूरा ध्यान इस पर था कि अपने ग्राहकों के लिए कितना उपयोगी हो सकती हूं। अंतत: समर्पण, मेहनत और आस्था के बल पर मैंने अपनी राह बनाई।
जुनून से काम करें, भविष्य की चिंता छोड़ें
युवा पेशेवरों को सफलता के लिए सलाह दते हुए चंद्रिका ने कहा, वही करें, जिसके लिए इच्छा इतनी प्रबल हो कि कुछ और करने की कल्पना न कर सकें। जब ऐसा होता है तो आपको कोई रोक नहीं सकता। जुनून से काम करें, भविष्य की चिंता छोड़ दें। ब्रह्मांड आपके लिए खुद रास्ता बनाएगा।