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पति से जीवन भर हैसियत के मुताबिक पत्नी ना करे भरण-पोषण की उम्मीद, अगर हस्बैंड कंगाल हो जाए तो क्या…? : Supreme Court

Divorce Alimony : भारत में जन्मे एक अमेरिकी नागरिक को अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में 500 करोड़ रुपये देने पड़े थे। दूसरी पत्नी भी अपने पति की हैसियत के बराबर गुजारा भत्ता मांग रही थी। जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया और क्या महत्वपूर्ण टिप्पणी की।

नई दिल्लीDec 21, 2024 / 06:06 pm

स्वतंत्र मिश्र

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Divorce Alimony : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक ऐसे व्यक्ति का मामला पहुंचा जिसका दूसरी बार तलाक हो रहा है। उसकी दूसरी पत्नी ने पति से उसकी पहली तलाकशुदा पत्नी के बराबर ही गुजारे भत्ते की मांग कर दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यों की खंडपीठ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि गुजारा भत्ते की मांग से पत्नी अपने पति के बराबर हैसियत मेंटेन करने की डिमांड न करे। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि विवाह एक पवित्र बंधन है, कोई व्यापारिक सौदा नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि तलाक की स्थिति में पत्नी अपने साथी की संपत्ति के बराबर गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती है। पति से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह जीवन भर अपनी वर्तमान स्थिति के अनुसार अपनी पत्नी का भरण-पोषण करेगा।

क्या है मामला?

दरअसल भारत में जन्मे एक अमेरिकी नागरिक, जो अमेरिका में एक सफल आईटी कंसल्टेंसी सर्विस चला रहे हैं, उन्हें नवंबर 2020 में अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में 500 करोड़ रुपये देने पड़े थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी पत्नी को 12 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। दूसरी पत्नी से उनकी शादी एक साल से भी कम समय तक चली। वहीं दूसरी पत्नी की मांग यह है कि उसे पति की ​हैसियत के हिसाब से जीवन भर मेंटिनेंस मिले।
‘दूसरी पत्नी ने पहली पत्नी के बराबर मांगा गुजारा भत्ता’

सुप्रीम कोर्ट में पति की याचिका का जवाब देते हुए दूसरी पत्नी ने कहा, 31 जुलाई 2021 को शादी के बंधन में बंधने के बाद केवल कुछ महीनों तक चली शादी से तलाक के बाद तलाकशुदा पहली पत्नी के बराबर स्थाई ही गुजारा भत्ता मिलना चाहिए।

‘दूसरी पत्नी पति जितना संपत्ति बनाना चाहती है’

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना Justice B V Nagarathna और न्यायमूर्ति पंकज मिथल Justices Pankaj Mithal की पीठ ने दूसरी पत्नी की पहली पत्नी के साथ समानता की मांग पर नाराजगी व्यक्त की। पीठ का कहना यह था कि पहली पत्नी ने पुरुष के साथ विवाह में कई साल बिताए थे जबकि दूसरी पत्नी ने कुछ ही महीने गुजारे थे। दूसरी पत्नी गुजारा भत्ता लेकर अपने पति के साथ अपनी संपत्ति बराबर करने की कोशिश की थी।

गुजारा भत्ता की मांग से संपत्ति की बराबरी ठीक नहीं : SC

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने 73 पन्नों का विस्तृत फैसला लिखते हुए कहा, “हमें दूसरे पक्ष के साथ धन की बराबरी के रूप में भरण-पोषण या गुजारा भत्ता मांगने वाली पार्टियों की प्रवृत्ति पर गंभीर आपत्ति है। यह अक्सर देखा जाता है कि पार्टियां अपने पति की संपत्ति, स्थिति और आय को उजागर करती हैं और उसके आधार पर इतनी संपत्ति की मांग करती है ताकि उनके बराबर संपत्ति बना सके।

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