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हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे: तमिलनाडु डिप्टी CM ने तीन भाषा नीति को किया खारिज, शिक्षा मंत्री ने कहा- भाषा थोपने का सवाल ही नहीं लेकिन…

Hindi Row: तमिलनाडु में दो-भाषा नीति का पालन किया जाता है, यानी सरकारी स्कूलों में मुख्य रूप से तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। लेकिन 2020 की शिक्षा नीति में त्रिभाषा नीति का प्रस्ताव है, जिसमें से एक हिंदी है। और तमिलनाडु सरकार ने इसे भाषा थोपने का प्रयास बताया है।

भारतFeb 21, 2025 / 02:35 pm

Akash Sharma

Dharmendra Pradhan and Udhayanidhi Stalin

Dharmendra Pradhan and Udhayanidhi Stalin

Hindi Row NEP 2020: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आश्वासन के बाद तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन (Deputy CM Udhayanidhi Stalin) ने शुक्रवार को DMK के रुख को दोहराया और कहा कि राज्य कभी भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और तीन-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेगा। उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “हम अपने वित्तीय अधिकार मांग रहे हैं, जो तमिलनाडु के लोगों को दिए जाने हैं। हम तमिलनाडु के छात्रों के लिए शैक्षिक निधि मांग रहे हैं। वे इतने सालों से 2,150 करोड़ रुपये का फंड दे रहे थे लेकिन अब वे कह रहे हैं कि हमें NEP 2020 तीन भाषा नीति को स्वीकार करना चाहिए।”

तमिलनाडु में लोगों ने भाषा के लिए अपनी जान दी है- डिप्टी CM


तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जोर देकर कहा, “तमिलनाडु हमेशा तीन भाषा नीति के खिलाफ रहा है। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे,” डिप्टी CM ने यह भी बताया कि तमिलनाडु जैसे राज्य में लोगों ने भाषा के लिए अपनी जान दी है। उदयनिधि स्टालिन ने कहा, ‘इसमें राजनीति करने की क्या बात है? मुझे समझ में नहीं आता। तमिलनाडु वह राज्य है, जिसमें भाषा के अधिकार के लिए कई लोगों ने अपनी जान दी है। आप समझ सकते हैं कि कौन राजनीति कर रहा है।’

NEP तमिलनाडु में हिंदी थोप नहीं रही- धर्मेंद्र प्रधान


2026 के चुनावों से पहले, भाषा नीति और तमिलनाडु को धन आवंटित करने पर बहस के साथ DMK और भाजपा के बीच खींचतान तेज होती जा रही है। इससे पहले आज केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र की कड़ी आलोचना की, जिसमें उन पर राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित “काल्पनिक चिंताओं” को उठाने का आरोप लगाया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 किसी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोप रही है। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “मैं एक बात पर फिर से जोर देना चाहता हूं कि NEP किसी राज्य के संबंधित छात्रों पर कोई भाषा थोपने की सिफारिश नहीं कर रही है। इसका मतलब है कि NEP किसी भी तरह से तमिलनाडु में हिंदी थोपने की सिफारिश नहीं कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का प्राथमिक सार शिक्षा में वैश्विक मानक लाना है और साथ ही, इसे भारत में निहित होना चाहिए।’

कई गैर-भाजपा राज्य भी NEP को लागू कर रहे हैं- धर्मेंद्र प्रधान


धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “तमिलनाडु जैसे राज्यों की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। भारत सरकार सभी प्रवेश परीक्षाएँ सभी प्रमुख 13 भाषाओं में आयोजित कर रही है और उनमें से एक तमिल भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक स्तर पर तमिल विचारों को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर में भारत के पहले तिरुवल्लूर सांस्कृतिक केंद्र की घोषणा की। यह हमारी प्रतिबद्धता है। 1968 से, लगातार सरकारों ने शिक्षा क्षेत्र में एक भाषा सूत्र लागू किया है। NEP 2020 को लागू न करके, हम छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को वैश्विक अवसर से वंचित कर रहे हैं। शिक्षा का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। यहां तक ​​कि कई गैर-भाजपा राज्य भी NEP को लागू कर रहे हैं। वे केंद्र से पूरा सहयोग ले रहे हैं,”


एमके स्टालिन ने PM Modi को लिखा पत्र

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य के लिए ‘समग्र शिक्षा’ फंड जारी करने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। पत्र में स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के उस बयान के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु के ‘समग्र शिक्षा’ फंड तब तक जारी नहीं किए जाएंगे, जब तक राज्य NEP 2020 में उल्लिखित ‘तीन भाषा’ नीति को लागू नहीं करता। 

तमिलनाडु में दो-भाषा नीति का पालन किया जाता है

तमिलनाडु में दो-भाषा नीति का पालन किया जाता है, यानी सरकारी स्कूलों में मुख्य रूप से तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। राज्य के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने मीडियो को बताया कि इससे छात्रों को अपनी भाषाई विरासत से जुड़ने का मौका मिलता है और अंग्रेजी सीखकर वे वैश्विक स्तर पर भी जुड़ सकते हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा, “1967 से तमिलनाडु में दो-भाषा नीति लागू है और तमिल और अंग्रेजी हमारे लिए पर्याप्त है। हमने पहले ही बहुत कुछ हासिल कर लिया है।” उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में उच्च उपलब्धि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने में राज्य के रिकॉर्ड की ओर इशारा किया। लेकिन 2020 की शिक्षा नीति में त्रिभाषा नीति का प्रस्ताव है, जिसमें से एक हिंदी है। और तमिलनाडु सरकार ने इसे भाषा थोपने का प्रयास बताया है।

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