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पाकिस्तान के साथ सुबह चार बजे तक सैन्य टकराव देखते रहे चीनी विदेश मंत्री, भारत ने मार गिराए सभी चाइनीज हथियार

पाकिस्तान ने भारतीय हमले का सामना करने में चीन निर्मित जे-10सी लड़ाकू जेट और पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल किया। चीन इस दौरान अपने इन हथियारों के प्रदर्शन पर नजर रखता रहा।

भारतMay 11, 2025 / 08:44 am

Siddharth Rai

India Pakistan War: पाकिस्तान के साथ पिछले एक हफ्ते के सैन्य टकराव के दौरान भारत ने सिर्फ पाकिस्तान की ही कमर नहीं तोड़ी, बल्कि चीनी हथियारों को भी नेस्तनाबूद कर बीजिंग को भी साफ संकेत दे दिया। इस युद्ध के दौरान यह बात साफ हो गई कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन की कठपुतली बन कर रह गया है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने पाक संसद में स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत के साथ सैन्य संघर्ष में चीनी हथियारों के इस्तेमाल के बारे में चीनी नेतृत्व को हल पल की जानकारी दी। डार ने यह भी स्वीकार किया कि चीन के राजदूत जियांग जैदोंग भी उनके साथ सुबह चार बजे तक यह देख रहे थे कि कैसे हमने चीनी हथियारों से भारत का सामना किया। लेकिन चीनी हथियार भारत के स्वदेशी पराक्रम के आगे टिक नहीं सके।

चीन ने की भारत की जासूसी

इतना ही नहीं, ऐसे साक्ष्य हैं जो बताते हैं कि चीन इस युद्ध में अपने जासूसी सैटेलाइट के जरिए भी भारत पर नजर रखे हुए था और पाकिस्तान की मदद कर रहा था। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म वॉर एंड गोर के अनुसार, जैसलमेर, अखनूर, जम्मू, उधमपुर और पंजाब के पठानकोट जैसे शहरों में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन हमलों की नई लहर शुरू किए जाने के दौरान एक चीनी ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट राजस्थान के ऊपर से गुजरा। प्लेटफॉर्म ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान भारत की ओर ड्रोन लॉन्च करते समय नागरिक एयरलाइनों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा था।

चीनी हथियारों के प्रदर्शन तौलता रहा चीन, जुटाया डाटा

इतना ही नहीं, जांच से पता चलता है कि भारत-पाकिस्तान के टकराव के दौरान चीन अपने हथियारों की क्षमताओं के बारे रियल टाइम इंटेलिजेंस डाटा जुटाने में जुटा रहा। पाकिस्तान ने भारतीय हमले का सामना करने में चीन निर्मित जे-10सी लड़ाकू जेट और पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल किया। चीन इस दौरान अपने इन हथियारों के प्रदर्शन पर नजर रखता रहा। पाकिस्तान भले ही यह स्वीकार नहीं करे, लेकिन मीडिया रिपोर्ट और युद्ध के परिणाम से साफ है कि चीनी हथियारों को पस्त होता देखा मुनीर की सेना ने हथियार डाल दिए।

पाकिस्तान बन गया है चीन की कठपुतली

चीन की इस युद्ध में रुचि का एक कारण चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपेक भी है। यह चीन की महात्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है। ग्वादर बंदरगाह को चीन के काशगर से जोड़ने वाली यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर भी गुजरता है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्वादर बंदरगाह (पाकिस्तान) से काशगर (चीन) तक एक बुनियादी ढांचा नेटवर्क बनाना तथा इस इलाके में चीन के कारोबारी और रणनीतिक हितों को बढ़ाना है। इसलिए चीन ने इस परियोजना में भारी निवेश के साथ पाकिस्तान को भी कर्ज के जाल में फंसा दिया है। इसके चलते पाकिस्तान एक तरह से चीन की कठपुतली बनकर रह गया है। ऐसी स्थिति में युद्ध बढ़ने की हालात में भारत – चीन के बीच टकराव तय माना जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अपने गहरे कारोबारी हितों के चलते चीन ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया है कि वह उसकी संप्रभुता की रक्षा करेगा। पर अपने हथियारों को भारतीय हमले में नेस्तनाबूद होते देख, चीन ने पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए आगे बढ़ने को कहा।

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