कोर्ट ने केंद्र और रेलवे से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि भारतीय रेलवे ने एक डिब्बे में बैठने वाले यात्रियों की संख्या से अधिक टिकट क्यों बेचना जारी रखा? कोर्ट ने केंद्र और रेलवे से जवाब मांगा है।
मुद्दों की उच्च स्तर पर जांच करने के दिए आदेश
कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच रेलवे बोर्ड में उच्च स्तर पर की जाए, जैसा कि सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया है और उसके बाद प्रतिवादी द्वारा एक हलफनामा दायर किया जाए, जिसमें रेलवे बोर्ड द्वारा लिए जा सकने वाले निर्णयों का विवरण दिया जाए। रेलवे अधिनियम की धारा-147 लागू करने को कहा
कोर्ट ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अधिनियम की उस धारा को लागू करने के लिए कहा, जो डिब्बे में
यात्रियों की संख्या निर्धारित करती है तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों को छह महीने की जेल की सजा का प्रावधान करती है। यह धारा 147 है।
कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने कहा दिखाइए कि डिब्बों में यात्रियों की संख्या सीमित करने और बिना अनुमति के प्रवेश करने वालों को दंडित करने वाले मौजूदा कानूनों को लागू करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे।
प्रासंगिक धाराओं के अवलोकन से पता चलता है कि प्रत्येक रेलवे प्रशासन को यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करने का वैधानिक अधिकार है और यह संख्या कोच के बाहर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी।
26 मार्च को होगी अगली सुनवाई
वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भगदड़ के कई कारण थे लेकिन सबसे गंभीर बात यह थी कि स्टेशन प्रशासन ने टिकट बेचना जारी रखा। दो घंटे में करीब 3 हजार टिकट बेचे गए।