केजरीवाल सरकार की गड़बड़ियों के खुलेंगे पन्ने
इन सीएजी रिपोर्ट्स में कई बड़े मुद्दे शामिल हैं, जैसे “शीशमहल केस”—जिसमें अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है—और “शराब घोटाला”, जिसमें शराब नीति में अनियमितताओं की बात कही गई है। ये दोनों मामले पहले से ही केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे ED और CBI के रडार पर हैं। SIT के गठन से इन जांचों में तेजी आ सकती है और नए सबूत सामने आ सकते हैं। बीजेपी का कहना है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर चल रही है, और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। क्या अरविंद केजरीवाल फिर जेल जाएंगे?
यह सवाल दिल्ली की सियासत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने खुद कहा था कि अगर बीजेपी सत्ता में आई, तो उन्हें दोबारा जेल भेजा जा सकता है। उनकी यह आशंका उस वक्त और गहरी हो गई होगी, जब बीजेपी ने 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 48 सीटें जीतकर शानदार वापसी की। दूसरी ओर, रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री बनने के बाद कहा है कि उनकी सरकार किसी “बदले की कार्रवाई” में नहीं उलझेगी। उनका दावा है कि जांच सिर्फ सच सामने लाने के लिए होगी, न कि व्यक्तिगत दुश्मनी के लिए। लेकिन अगर SIT को ठोस सबूत मिलते हैं—खासकर शीशमहल केस में फंड दुरुपयोग या शराब घोटाले में नीतिगत गड़बड़ियों के—तो केजरीवाल और AAP के दूसरे नेताओं के लिए कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
SIT के ऐलान से दिल्ली की राजनीति में मच गई हलचल
बीजेपी का कहना है कि AAP ने पिछले 10 साल में दिल्ली को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया, जबकि AAP इसे सियासी बदला करार दे रही है। “शीशमहल केस” में आरोप है कि केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास को आलीशान बनाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये खर्च किए। वहीं, “शराब घोटाला” में दावा है कि शराब नीति के तहत लाइसेंस देने में भारी अनियमितताएं हुईं, जिससे कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया गया। इन सबके बीच, रेखा गुप्ता ने साफ किया है कि उनकी सरकार का फोकस दिल्ली के विकास पर होगा, न कि अनावश्यक विवादों पर।