अज्ञानता पड़ती भारी
पांच-छह साल पहले तक साइबर ठगी होने पर पीडि़तों को यह भी पता नहीं था कि तत्काल क्या कदम उठाए जाए। कहां जल्दी से शिकायत करे। इस कारण साइबर ठगी के प्रकरण रिपोर्ट बहुत कम हो पाते और उनमें राशि होल्ड व रिकवर तो बहुत ही कम होती। वर्ष 2019 व 2020 में क्रमश: 9 व 191 ठगी की शिकायतें पुलिस को मिली। विलम्ब से शिकायत मिलने के कारण इन मामलों में राशि होल्ड व रिकवर की स्थिति शून्य रही।
जागे तो बढ़ी शिकायतें
पुलिस प्रशासन ने साइबर सुरक्षा जागरुकता कार्यक्रम चलाए। शिक्षण संस्थाओं में साइबर सुरक्षा योद्धा बनाए। इसमें साइबर सुरक्षा मामलों के जानकार वाहेगुरु सिंह व डॉ. केन्द्र प्रताप की अहम भूमिका रही। परिणाम यह रहा कि वर्ष 2021 में 942 प्रकरण रिपोर्ट हुए और साढ़े 15 लाख रुपए रिकवर कराए गए। बीते बरस 3011 शिकायतें पुलिस को मिली। इनमें एक करोड़ 28 लाख रुपए से ज्यादा की रकम रिकवर कराई गई। जिले में अब तक पुलिस को 8811 शिकायतें मिल चुकी हैं। इन पर कार्रवाई कर 36442913 रुपए होल्ड कराए हैं और 24239407 रुपए रिकवर कराए हैं। बचाती यह सावचेती
- गूगल सर्च पर किसी वालेट, मर्चेंट, बैंक आदि के सम्पर्क नम्बर सर्च नहीं करे।
- अनजान व्हाट्सएप कॉल को रिसीव नहीं करें।
- किसी के भी कहने पर मोबाइल फोन में एनीडेस्क एप डाउनलोड नहीं करें।
- ऑनलाइन साइबर फ्रॉड होने पर तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नम्बर 1930 पर परिवाद दर्ज कराएं।
- साइबर क्राइम टीम हनुमानगढ के नम्बर 8764876025 पर कॉल या व्हाट्सअप करें।
- नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई जाए।
ठग अपनाते ऐसे तरीके
- किसी स्कीम में गिफ्ट निकला या मुफ्त ऑनलाइन गिफ्ट के फेर में।
- क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने।
- निवेश योजना में अच्छे रिटर्न का लालच।
- घर बैठे पैसे कमाने के फेर में फंसाकर।
- किसी अपराध में लिप्त बताकर डिजिटल अरेस्ट।
- किसी परिजन का हादसा होने का कहकर