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किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 25 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 25 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

जयपुरApr 18, 2025 / 05:50 pm

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर- चित्र देखो कहानी लिखो 25 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

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परिवार परिशिष्ट (9 अप्रेल 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 25 में भेजी गई कहानियों में प्रखर व्यास, शिवांश पाण्डेय और गगन योगी क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
दूसरों की मदद करनी चाहिए
एक दिन की बात है, जंगल में एक बड़ा प्यारा हाथी रहता था, उसका नाम था मोती। मोती बहुत ही समझदार और सीधा-सादा था। उसके सबसे अच्छे दोस्त थे चाचा रामू। चाचा रोज मोती को खाना खिलाते और फिर उसकी पीठ पर चढ़कर जंगल की सैर करने जाते। उस दिन चाचा ने मोती से कहा, मोती, आज हम दूर वाले जंगल तक चलेंगे, वहां आम के पेड़ बहुत सारे हैं। मोती ने खुश होकर अपनी सूंड हिलाई और दोनों चल पड़े।
रास्ते में उन्हें एक नन्हा खरगोश दिखा जो कीचड़ में फंस गया था। मोती ने तुरंत अपनी सूंड से उसे बाहर निकाला। खरगोश बोला, धन्यवाद मोती भैया! चाचा मुस्कु राए और बोले, देखो मोती, मदद करने से दिल को कितनी खुशी मिलती है। थोड़ी दूर चलकर एक पेड़ के नीचे एक तोता चिल्ला रहा था, क्योंकि उसके पंख में कांटा चुभ गया था। चाचा ने अपने हाथ से कांटा निकाला। तोता बोला, आप दोनों बहुत अच्छे हो! जब वे शाम को घर लौटे, तो सब जानवर तालियां बजा रहे थे। मोती और चाचा खुश हो गए। सीख- अगर हम दूसरों की मदद करें, तो सब हमें प्यार करते हैं। अच्छा काम करने से दिल खुश रहता है।
प्रखर व्यास,उम्र-7 वर्ष
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गन्ना और दोस्ती
एक समय की बात है। एक हरा-भरा गांव था। जो घने जंगल के पास बसा हुआ था। उस गांव में हरि नाम का एक किसान रहता था। हरि बहुत मेहनती और नेकदिल इंसान था। रोज सुबह वह अपने खेतों में काम करने जाता और शाम को लौटता। एक दिन जब वह खेत में गन्ने काट रहा था, तभी अचानक पेड़ों के पीछे से एक बड़ी हथिनी उसके सामने आकर खड़ी हो गई। उसकी आंखें बड़ी, चमकदार और मासूम थीं। हरि घबरा गया, उसकी दरांती हाथ से छूट गई।
उसने सोचा, अब क्या होगा? पर वह हैरान रह गया जब देखा कि हथिनी ने कोई गुस्सा नहीं दिखाया, बल्कि शांत खड़ी होकर प्यार से उसकी तरफ देख रही थी। ऐसा लगा मानो वह कुछ कहना चाह रही हो- शायद भूख लगी थी या कोई दोस्ती का इशारा था। हरि ने हिम्मत जुटाई और पास की झाड़ी से कुछ ताजा गन्ने तोड़े और हथिनी की तरफ बढ़ा दिए। हथिनी ने धीरे से गन्ने लिए और खुश होकर सूंड से हिलाया, जैसे धन्यवाद कह रही हो। इसके बाद वह रोज खेत के किनारे आ जाती और हरि उसे गन्ना खिला देता। धीरे-धीरे दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। गांव के बच्चों ने उसका नाम रख दिया- गुलाबी। गुलाबी अब गांव वालों की दोस्त बन गई थी। वह बच्चों को जंगल की सैर कराती और जरूरत पडऩे पर भारी चीजें खेतों से ढोने में हरि और सबकी मदद भी करती। सीख यह मिलती है कि अगर दिल में प्रेम हो, तो सच्चे दोस्त बनाए जा सकते हैं। फिर चाहे वह जानवर ही क्यों न हो।
शिवांश पाण्डेय,उम्र-7वर्ष
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किसान और हाथी का साथ
एक बार की बात है एक दयालु किसान था। वह बांकली नाम के एक छोटे से गांव में रहता था। यह गांव घने जंगल के पास बसा था। वह अपनी आजीविका कमाने के लिए कड़ी मेहनत करता था। एक दिन वह अपने खेत में काम कर रहा था। उसने देखा कि एक हाथी उसके खेत की बाड़ के पास बैठा है। वह हाथी के पास गया। उसने उसे कुछ खिलाने की कोशिश की लेकिन हाथी ने कुछ नहीं खाया। किसान ने देखा कि हाथी की तबियत ठीक नहीं है।
उसने हाथी को ठीक करने की पूरी कोशिश की। कुछ दिनों के बाद हाथी ठीक हो गया और जंगल में वापस चला गया लेकिन वह अपनी सूंड में कमल का फूल लेकर किसान के पास आया। एक दिन किसान की तबियत खराब थी इसलिए वह खेत पर काम करने नहीं आया। उसने अपने बेटे को खेत में काम करने के लिए भेज दिया। हाथी किसान को कमल का फूल देने आया लेकिन उसने किसान को वहां नहीं देखा तो वह निराश हो गया और जोर से शोर मचाया। उसने किसान को कमल का फूल नहीं दिया। किसान का बेटा हाथी को समझ नहीं पाया। उसे लगा कि हाथी उस पर हमला कर देगा और उसकी फसल बर्बाद कर देगा। किसान के बेटे ने हाथी पर कुदाल से वार किया। हाथी बहुत दुखी हुआ और खेत से बाहर चला गया। हाथी जंगल में वापस नहीं लौटा और खेत से कुछ मीटर दूर जाकर बैठ गया। जब किसान के बेटे ने घर जाकर अपने पिता को हाथी के बारे में बताया तो किसान बहुत दुखी हुआ और अपने बेटे के साथ हाथी को देखने के लिए खेत में गया। किसान ने हाथी को देखा तो उसकी आंखों में आंसू थे। किसान ने हाथी की सूंड को अपने सीने से लगाकर उसे गले लगा लिया। किसान ने उसे खाने के लिए गुड़ दिया। हाथी ने प्यार से गुड़ निगल लिया और उसे कमल का फूल दिया। हाथी जंगल में वापस चला गया। किसान ने अपने बेटे से कहा कि जानवर इंसानों की तरह बदला नहीं लेते। शिक्षा-प्यार दो और प्यार पाओ, कभी भी बदले की भावना पर विश्वास मत करो।
गगन योगी,उम्र-7वर्ष
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गप्पू हाथी और जादुई तरबूज
गर्मियों के दिन थे। सूरज आग बरसा रहा था और सबके गले सूख रहे थे। रामू काका और गप्पू हाथी नदी के किनारे टहल रहे थे। तभी उन्हें एक अजीब चमकता हुआ तरबूज झाडिय़ों में दिखा। रामू काका ने कहा, गप्पू, ये तरबूज कुछ खास लग रहा है। गप्पू ने अपनी सूंड से तरबूज उठाया और जैसे ही उसे सूंघा, तरबूज चमकने लगा और उसमें से एक आवाज आई ध्यान से सुनो! जो भी इस तरबूज को खाएगा, उसे एक दिन के लिए जादुई शक्ति मिलेगी! रामू काका चौंक गए, लेकिन गप्पू तो बहुत खुश हुआ। उसने आधा तरबूज खाया और बाकी आधा रामू काका को दिया।
जैसे ही उन्होंने तरबूज खाया, गप्पू उडऩे लगा! उसकी बड़ी-बड़ी कान अब पंख बन गए और रामू काका उसके ऊपर बैठकर बादलों के ऊपर उडऩे लगे। वो पहाड़ों के पार चले गए। समंदर के ऊपर से निकले और एक सुनहरे द्वीप पर पहुंचे। वहां एक बूढ़ा तोता मिला, जिसने कहा, तुमने जादुई तरबूज खाया है, इसलिए अब तुम एक दिन के लिए कोई भी सपना पूरा कर सकते हो! रामू काका बोले, हमारा सपना है कि हमारे गांव में कभी पानी की कमी न हो। तोते ने आशीर्वाद दिया और कहा, जब तुम लौटोगे, तुम्हारे गांव में एक मीठे पानी का झरना बहने लगेगा। गप्पू और रामू काका जब वापस गांव लौटे, तो सच में गांव के बीचों-बीच एक सुंदर झरना बह रहा था! अब गांव में न कोई प्यासा रहा, न खेत सूखे। गप्पू और रामू काका को सबने माला पहनाई और अब वो गांव में जादू वाले दोस्त के नाम से मशहूर हो गए। सीख- सच्चा दोस्त वही होता है जो हर सफर में साथ दे। और कभी-कभी जादू भी उनके लिए ही होता है जो दूसरों की भलाई का सपना देखते हैं।
अन्वी मोदी, उम्र-10वर्ष
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एक सच्चे दोस्त की सजा
एक समय की बात है, एक हाथी रोजाना नदी के किनारे स्नान करने जाता था। नदी का पानी ठंडा और साफ था, इसलिए वह हर दिन वहां जाकर नहाता और ताजगी महसूस करता था। नदी के रास्ते में एक दर्जी की दुकान थी। वह दर्जी एक अच्छा और दयालु आदमी था, जो रोज हाथी को कुछ न कुछ खाने के लिए दे देता था। हाथी भी उसे खुश होकर धन्यवाद कहता और उसकी दुकान के पास से गुजरते हुए उसे अपनी पीठ पर सवारी कराता था। यह दोस्ती काफी दिन से चल रही थी और दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए थे। लेकिन एक दिन दर्जी की दुकान पर उसके बेटे ने काम संभाला। वह बहुत आलसी और गुस्सैल था। जैसे ही हाथी वहां आया, उसने उसे खाने के लिए कुछ नहीं दिया।
इसके बजाय, उसने एक सुई उठाई और हाथी को चुभा दी। हाथी को यह बहुत ग़ुस्सा आया। वह समझ गया कि कुछ गलत हो रहा है, क्योंकि वह हमेशा दर्जी को अपना अच्छा दोस्त मानता था। गुस्से में आकर हाथी ने अपनी सूंड में कीचड़ वाला गंदा पानी भरा और सीधे दर्जी की दुकान पर डाल दिया। पानी इतना गंदा था कि दुकान के सारे कपड़े, जो सुंदर और साफ थे पर गंदे हो गए। दर्जी के बेटे को समझ में आ गया कि उसने क्या गलती की थी। वह बहुत पछताया और समझ गया कि बुरे व्यवहार का क्या परिणाम हो सकता है। इसके बाद, दर्जी ने हाथी से माफी मांगी और उसे वादा किया कि वह फिर कभी ऐसा नहीं करेगा। हाथी ने उसकी माफी स्वीकार की और फिर से उसकी दुकान के पास से गुजरने लगा, लेकिन अब वह कभी भी किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं करता था। सीख- इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा अपने दोस्तों और जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। गुस्से में आकर हमें कभी भी किसी का नुकसान नहीं करना चाहिए, क्योंकि बुरा व्यवहार हमेशा बुरे परिणाम लाता है।
साक्षी सिसोदिया,उम्र-12वर्ष
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हाथी और राजू की दोस्ती
एक घने जंगल के किनारे एक छोटा सा गांव था। उस गांव में राजू नाम का एक बच्चा रहता था। राजू को जानवरों से बहुत प्यार था। एक दिन राजू जंगल में घूम रहा था, तभी उसने एक हाथी को देखा। हाथी थोड़ा उदास लग रहा था। राजू ने धीरे से हाथी के पास जाकर पूछा, क्या हुआ हाथी दादा, आप उदास क्यों हो? हाथी ने अपनी सूंड हिलाई और कहा, मैं जंगल में अकेला हंू। मेरे सभी दोस्त दूसरे जंगल में चले गए हैं।
राजू को हाथी पर दया आ गई। उसने कहा, आप उदास मत होइए, मैं आपका दोस्त बनूंगा। हाथी खुश हो गया और उसने राजू को अपनी पीठ पर बैठा लिया। राजू और हाथी जंगल में घूमने लगे। राजू ने हाथी को जंगल के सुंदर पेड़-पौधे और झरने दिखाए। हाथी बहुत खुश था। एक दिन गांव में बाढ़ आ गई। गांव के सभी लोग डर गए। राजू ने हाथी से मदद मांगी। हाथी ने अपनी सूंड से लोगों को उठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। गांव के लोग हाथी के आभारी थे। उस दिन से राजू और हाथी सबसे अच्छे दोस्त बन गए। वे हमेशा एक दूसरे की मदद करते थे। राजू ने हाथी को सिखाया कि इंसानों के साथ कैसे दोस्ती की जाती है और हाथी ने राजू को जंगल के बारे में बहुत सी बातें सिखाईं। उनकी दोस्ती ने साबित कर दिया कि दोस्ती किसी भी जाति या प्रजाति से परे हो सकती है। सीख- सच्ची दोस्ती हर मुश्किल में साथ देती है और हर किसी को प्यार और सम्मान देना चाहिए।
युवराज सिंह धारिया,उम्र-10वर्ष
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बेजुबान जानवरों की मदद करें
एक गांव में समर नाम का एक किसान रहता था । वो बहुत मेहनती, ईमानदार और दयालु व्यक्ति था। वो रोज सवेरे जल्दी उठ कर अपनी पत्नी की घर के कामों में मदद करता था और फिर खेत पर जाकर फसलों की देखभाल करता था। वो रोज जंगल में जाकर ढेर सारी टूटी हुई लकडिय़ां भी इक्काठा कर के लाता था। एक दिन जब वो जंगल में गया तब वहां कुछ लोग एक हाथी के बच्चे का शिकार करने की कोशिश कर रहे थे ।
ताकि वो उसके दांत चुरा सके। जिस वजह से हाथी का बच्चा डरा हुआ सा झाडिय़ों के बीच छुपा हुआ था। जब किसान ने देखा तो उसे बहुत बुरा लगा उसने उस हाथी की मदद करने का सोचा। उसने पेड़ के पीछे छुप कर शेर के आवाज निकाली जिससे शिकारियों को लगा कि यहां आस पास शेर है । और वो शिकारी डर कर भाग गए। फिर वो हाथी के पास जाकर बोला कि तुम अब सुरक्षित हो। हाथी बहुत खुश हुआ फिर उसने किसान को अपनी पीठ पर बैठा कर खूब सैर कराई। शिक्षा- हमेशा बेजुबान जानवरों की मदद करे,उन्हें नुकसान पहुंचाने का कभी नहीं सोचें।
अथर्व सिंह राजावत,उम्र-7वर्ष
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मोटू गांव का नायक
एक छोटे से गांव में एक नन्हा हाथी रहता था। जिसका नाम था मोटू। मोटू बहुत प्यारा और चंचल था। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और लंबा सूंड हर किसी को मुस्कुराने पर मजबूर कर देता था। गांव के लोग मोटू से बहुत प्यार करते थे और उसे अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। एक दिन गांव में एक मेले का आयोजन हुआ। मोटू का मालिक रामू उसका सबसे अच्छा दोस्त था, उसने उसे मेले में ले जाने का फैसला किया। रामू ने मोटू को सजाया- उसके सिर पर रंग-बिरंगी पगड़ी और पीठ पर एक सुंदर चादर डाली। मोटू बहुत खुश था और फिर वे मेले की ओर चल पड़े।
मेले में पहुंचते ही बच्चों ने मोटू के चारों ओर घेरा बना लिया। वे उसकी सूंड से खेलने लगे और उसकी पीठ पर चढऩे की कोशिश करने लगे। मोटू भी बच्चों के साथ मस्ती करने लगा। तभी एक छोटी सी बच्ची रानी जो चल नहीं सकती थी, मोटू को देखकर रोने लगी। उसने कहा, काश मैं भी मोटू की पीठ पर चढ़ पाती। रामू ने मोटू को इशारा किया और मोटू धीरे से रानी के पास गया। रामू ने रानी को मोटू की पीठ पर बैठाया। रानी की आंखों में खुशी के आंसू थे। मोटू ने उसे धीरे-धीरे मेले में घुमाया। लोग तालियां बजाने लगे और मोटू को हीरो कहने लगे। उस दिन से मोटू गांव का सच्चा नायक बन गया। वह हर बच्चे को खुशी देता और गांव में प्यार फैलाता।
रेहान,उम्र-11वर्ष
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मोती और रामू की दोस्ती
एक बार की बात है एक जंगल में मोती नाम का एक हाथी रहता था। वह बहुत समझदार और खुशमिजाज था। उसके साथ उसका सबसे अच्छा दोस्त रामू महावत रहता था। रामू हर दिन मोती को नहलाता, खाना खिलाता और फिर उसे जंगल की सैर पर ले जाता। मोती को जंगल की हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट और ठंडी हवा बहुत पसंद थी।
एक दिन जंगल में एक त्योहार मनाया जा रहा था। रामू ने मोती को सजाया और दोनों त्योहार में शामिल हुए। सब लोग मोती की मुस्कान और उसकी चाल देखकर बहुत खुश हुए। मोती और रामू की जोड़ी सबकी पसंद बन गई। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्ची दोस्ती और देखभाल से कोई भी रिश्ता खास बन सकता है। चाहे वह इंसान और जानवर के बीच ही क्यों न हो।
नीरज पटेल,उम्र-10वर्ष
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एक प्यारी दोस्ती की कहानी
एक समय की बात है। पालमपुर नामक गांव में दीपू नाम का एक हाथी रहता था। उसका मालिक रमेश बहुत अच्छा और दयालु इंसान था। रमेश दीपू से बहुत प्यार करता था और उसे अपने परिवार के सदस्य की तरह मानता था। जब भी रमेश कहीं जाता, वह दीपू को हमेशा अपने साथ ले जाता था। चाहे वो शहर जाना हो या फिर जंगल की ओर दीपू हमेशा रमेश के साथ रहता था। रमेश और दीपू की दोस्ती दिन-ब-दिन और भी गहरी होती जा रही थी। दीपू रमेश का हर आदेश मानता था और रमेश भी दीपू का ध्यान रखता था। जब रमेश शहर जाता, तो लोग अक्सर उन्हें देखकर हैरान हो जाते थे। ऐसा लगता जैसे एक आदमी और हाथी का रिश्ता बहुत खास हो। एक बार रमेश को किसी काम के लिए दूर जाना था। उसने दीपू को अपने साथ लिया और दोनों एक साथ जंगल की ओर चल पड़े।
रास्ते में उन्हें कई जंगली जानवर मिले लेकिन दीपू ने किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाया। वह सिर्फ रमेश का साथ देता रहा। एक दिन अचानक तूफान आ गया और जंगल में अंधेरा छा गया। उस वक्त रमेश डर के बजाय दीपू के पास खड़ा रहा, क्योंकि उसे पता था कि दीपू उसकी रक्षा करेगा। रमेश और दीपू की दोस्ती अब गांव के हर बच्चे और बड़े के बीच मशहूर हो गई थी। सबको यह कहानी बताई जाती थी कि जानवरों के साथ प्रेम और अच्छे व्यवहार से एक मजबूत और प्यारी दोस्ती बन सकती है। सीख- इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें जानवरों के साथ भी प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए। हमें उन्हें कभी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और हमेशा उनके साथ अच्छे से व्यवहार करना चाहिए।
नमन कश्यप,उम्र-13वर्ष
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गज्जु एक अनाथ हाथी

एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब किसान रहता था। उसका नाम था राम। राम अपने परिवार के साथ एक छोटे से खेती करने वाले गांव में रहता था। उसके पास एक हाथी था, जिसका नाम था गज्जु। गज्जु एक अनाथ हाथी था, जिसे राम ने अपनी खेती के काम में मदद करने के लिए पाला था। वक्त के साथ-साथ राम और गज्जु की दोस्ती बढ़ गई। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। एक दिन जब राम अपने खेत में काम कर रहा था, तब उसने देखा कि गज्जु के पैर पर एक गहरा जख्म था। राम ने गज्जु की मदद की और उसका इलाज किया।
गज्जु ने राम की मदद के लिए अपना सिर हिलाकर धन्यवाद दिया। इसके बाद गज्जु ने राम की हर मुसीबत में मदद की। जब कभी राम को किसी समस्या का सामना करना पड़ा, गज्जु हमेशा उसके साथ था। एक बार जब गांव में एक बड़ा तूफान आया, तब गज्जु ने राम को अपनी पीठ पर बैठाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। राम ने गज्जु की मदद के लिए धन्यवाद दिया। इस तरह राम और गज्जु की दोस्ती बढ़ गयी। वे एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। उनकी दोस्ती ने सबको प्रेरित किया और उन्हें एक दूसरे के लिए और भी अधिक प्यार और सम्मान करने का मौका दिया। और इस तरह राम और गज्जु की सच्ची मित्रता की कहानी हमेशा याद रहेगी।
आदित्य सेहरा,उम्र-13वर्ष
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हाथी और उसका दोस्त
एक गांव में एक किसान रहता था जिसका नाम रामू था। रामू बहुत ही नेक दिल इंसान था। एक दिन उसे जंगल में एक घायल हाथी का बच्चा मिला। वह बहुत दुखी था और जोर-जोर से रो रहा था। रामू ने उसकी देखभाल की। उसके घावों पर मरहम लगाया और उसे अपने साथ गांव ले आया। रामू और हाथी के बीच गहरा रिश्ता बन गया। वह हाथी अब बड़ा और मजबूत हो गया था, लेकिन वह रामू को कभी नहीं भूला। रामू उसे प्यार से राजू कहकर बुलाता था। राजू भी रामू की हर बात मानता था और उसकी खूब सेवा करता था।
रामू और राजू हर दिन साथ खेतों में काम करने जाते। राजू की मदद से रामू के खेतों की फसल बहुत अच्छी होने लगी। गांव के लोग भी राजू को बहुत पसंद करने लगे। राजू बच्चों को अपनी पीठ पर बैठाकर जंगल की सैर कराता। एक दिन गांव में डाकु ओं ने हमला कर दिया। रामू की जान खतरे में थी। तभी राजू गरजता हुआ आया और अपनी सूंड से डाकुओं को भगा दिया। पूरे गांव ने राजू की बहादुरी की सराहना की। रामू ने राजू को गले लगाते हुए कहा, तू सिर्फ मेरा दोस्त नहीं, मेरा परिवार है। इस तरह रामू और राजू की दोस्ती की मिसाल पूरे गांव में फैल गई। सच्ची दोस्ती बिना स्वार्थ के होती है।
चिराग जजोरिया,उम्र-13वर्ष
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राजा का घमंडी हाथी
यह बात उस समय की है, जब कहीं जाने के लिए वाहन उपलब्ध नहीं थे। इसीलिए राजा और महाराजा घूमने या कहीं पर जाने के लिए जानवरों का इस्तेमाल किया करते थे। उस समय घोड़ा और हाथी काफी उपयोगी थे तो एक बार बरसाने के राजा अक्षय राजपूत अपने प्रियहाथी जिसे वे प्यार से धनराज कहा करते थे, घूमने निकले। हाथी ने जंगल में जाकर एक चिडिय़ा का घोंसला तोड़ दिया। चिडिय़ा के अंडे नष्ट हो गए।
जिससे चिडिय़ा रोने लगी और रोते हुए बोली है। दुष्ट हाथी यह तूने क्या किया? तूने मेरे बच्चों को मार दिया। मैं तुझे नहीं छोडूंगी तब वह हाथी हंसते हुए बोला, तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। मैं राजा का प्रिय हाथी हूं और अत्यंत बलशाली भी हूं। इतना कहकर वह हाथी चला गया और चिडिय़ा रोती रही। चिडिय़ा की रोने की आवाज सुनकर काशी नाम का पक्षी वहां आया और चिडिय़ा से रोने का कारण पूछा। उसने सारी बात बता दी। तब काशी चिडिय़ा को चंचल नाम की मक्खी के पास लाया। उनकी बातें सुनकर चंचल नाम की मक्खी ने कहा मेरा भी मित्र मेघनाथ नाम का एक मेंढक है। तीनों मेघनाथ के पास जाकर उसे सारी बातें बता देते हैं। उनकी बातें सुनकर मेघनाथ ने कहा जैसा मैं कहता हूं वैसा करो। सबसे पहले मक्खी दोपहर में तुम उस हाथी के कानों में आवाज करना जिससे वह अपनी आंखें बंद कर लेगा तब काशी अपनी चोंच से उसकी आंखें फोड़ देगा और वह दुष्ट हाथी अंधा हो जाएगा। दोपहर में प्यास के कारण वह तालाब पर जाएगा और रास्ते में एक बहुत बड़ा और गहरा गड्ढा है। मैं गड्ढे के किनारे पर बैठ जाऊंगा और आवाज करूंगा। मेरी आवाज सुनकर वह वहां जाएगा तालाब समझकर। और वह गड्डे में गिरकर मर जाएगा। फिर उन्होंने ऐसा ही किया और उनकी योजनानुसार हाथी मारा गया। इसीलिए कहा जाता है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए।
नैतिक पाल,उम्र-12वर्ष
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किशन की भलाई
एक बार की बात है। एक लकड़हारा था। उसका नाम किशन था। एक दिन वो लकड़ी काटने जंगल में गया। उसने लकड़ी कटनी चालू की, तो उसे एक आवाज सुनाए दी। उसने देखा तो पता चला की एक हाथी उसकी ओर आ रहा था। वो डर गया और उसने सोचा, आज तो में इस हाथी के पैरों से कुचला जाऊंगा।
पर ये क्या उस हाथी ने किशन को कु छ नहीं किया और कराहने लगा। पहले तो किशन को कुछ समझ नहीं आया, पर जब उसने गौर से देखा तो पता चला हाथी के पैर में घाव था और खून बह रहा था। किशन ने घाव पर पट्टी बांधी और कुछ दिनों तक हाथी की देखभाल भी की। उसी दौरान किशन ने हाथी का नाम राजू रख दिया। हाथी को भी राजू नाम पसंद आया। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। जब राजू ठीक हो गया तो उसने किशन का धन्यवाद करने के लिए उसे अपनी पीठ पर बैठा कर किशन की दूर जाने में सहयता की। राजू और किशन सर्वदा दोस्त बने रहे। शिक्षा यह कि मदद करने का भाव रखना चाहिए।
मिहिका जैन,उम्र-11वर्ष

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