क्या है मामला?
यह मामला एक पिता-पुत्र के बीच हुए विवाद का है। कुछ विवादों के कारण पिता ने आरोप लगाया कि पुत्र ने उसे घर से निकाल दिया है तथा लगभग 69 वर्ष की आयु होने के बावजूद भी उसका पुत्र उसका भरण-पोषण नहीं कर रहा है।
किसने लिया फैसला?
यह फैसला ओडिशा हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति शशिकांत मिश्रा की एकल पीठ द्वारा लिया गया ताकि भरण-पोषण का आदेश इस निष्कर्ष पर पारित किया जा सकता है कि बच्चों या रिश्तेदारों ने, जैसा भी मामला हो, किसी वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण में उपेक्षा की है या उसे भरण-पोषण देने से इनकार कर दिया है, क्योंकि वह स्वयं अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है।
5,000 रुपए भुगतान
यह मामला उप-कलेक्टर, एसडीएम, रायगडा-सह-रखरखाव न्यायाधिकरण की अदालत में दर्ज किया गया था। पक्षों की सुनवाई के बाद, भरण-पोषण न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ता को इमारत के गेट की चाबी अपने पिता को सौंपने और मासिक भरण-पोषण के लिए 5,000/- रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।