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माफिया के दुस्साहस से ज्यादा घातक अफसरों की प्रभावहीन कार्यशैली

जब माफिया के साथ अफसर और नेता भी मिल जाएं तो इनका दुस्साहस कई गुना बढ़ जाता है। माफिया द्वारा विकसित की जा रही एक कॉलोनी के रास्ते में आड़े आ रहे पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले को माफिया ने 11-12 जनवरी की दरम्यिानी रात जमींदोज कर दिया।

खंडवाJan 22, 2025 / 11:47 pm

harinath dwivedi

crime news, mafiya

माफिया ने इस तरह से डाक बंगला को गिरा दिया।

प्रदेश में पहली बार माफिया ने पीडब्ल्यूडी का डाक बंगला रातोंरात जमींदोज कर दिया, सिर्फ एक आरोपी पर दिखावे की एफआइआर, इस मामले में आरोपियों पर सामान्य धाराओं में एफआइआर हुई, जिससे उनकी गिरफ्तारी भी नहीं की गई।
सरकारी तंत्र का उपयोग फेल

माफिया और राजनेताओं की मिलीभगत की कहानियां अक्सर सामने आती रहती हैं, लेकिन जब माफिया के साथ अफसर और नेता भी मिल जाएं तो इनका दुस्साहस कई गुना बढ़ जाता है। अफसरों और नेताओं की शह पर ऐसा ही एक मामला खरगोन जिले के सनावद में सामने आया। माफिया द्वारा विकसित की जा रही एक कॉलोनी के रास्ते में आड़े आ रहे पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले को माफिया ने 11-12 जनवरी की दरम्यिानी रात जमींदोज कर दिया। इस बंगले का गिराने के लिए पहले माफिया ने अपने तंत्र का उपयोग किया। राजस्व विभाग को आवेदन देकर पड़ोस में अपनी भूमि का सीमांकन करवाया। इसकी सीमाएं तय नहीं होने से उसकी नजर डाक बंगले के विशाल परिसर पर पड़ गई।
बंगला हड़पने के लिए बनाई रणनीति

इसे हड़पने के लिए उसने डाक बंगले को ही गिरवाने की ठान ली। रहवासियों से कथित रूप से जर्जर बंगले को हटाने के लिए ज्ञापन दिलवाए, निगम से पीडब्ल्यूडी को नोटिस दिलवाया। इतना ही नहीं विधायक ने भी बंगला गिराने के लिए निगम को अनुशंसा कर दी। यह हथकंडे काम नहीं आए तो माफिया के सब्र का बांध टूट गया। उसने रातोंरात कई जेसीबी की मदद से डाक बंगले को ही जमींदोज कर दिया। बंगले के जमींदोज होते ही स्थानीय नागरिक विरोध पर उतर आए। मामला चर्चा में आया तो अफसरों ने पुलिस को शिकायत कर दी। शिकायत में सिर्फ एक आरोपी का नाम लिखा गया। पुलिस ने जैसे तैसे एफआइआर तो दर्ज कर ली, लेकिन न तो डाक बंगला गिराने वाली जेसीबी जब्त हुई और न माफिया के साथ भवन गिराने में सहयोग कर रहे अन्य आरोपियों के नाम सामने आए।
चेहरे बेनकाब होना जरूरी

ये अफसर ही हैं जो सरकारी जमीनों की जानकारी माफिया को बताते हैं, कब्जा करवाते हैं। बाद में किसी न किसी योजना में प्रीमियम जमा करवाने के नाम बेसकीमती जमीनें कौडिय़ों के भाव माफिया के खाते में दर्ज कर देते हैं। डाक बंगला गिराने के पीछे जिसका नाम आया है वह अकेले ही ऐसा दुस्साहसिक कदम नहीं उठा सकता है। सत्ता में शामिल राजनेता, कुछ अफसर और धनपशु मिलकर उसे ताकत दे रहे हैं। अब गेंद पुलिस के पाले में है तो गैर कानूनी तरीके से बंगला ध्वस्त करने वाले को कानून की ताकत से ऐसा सबक सिखाया जाना चाहिए कि इस एक चेहरे के आड़ में छिपे लोगों तक इसकी धमक पहुंचे। ऐसे चेहरों को उजागर कर उनसे क्षतिपूर्ति भी की जानी चाहिए।

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