गांव हो या शहर इंटरनेट की दूरदराज तक पहुंच ने लोगों का आधुनिकता से तो परिचय करवाया लेकिन तकनीकी साक्षर न होने के कारण आज भी अधिकांश लोगों के लिए ये केवल विलासिता की वस्तु की तरह है। यह सर्वविदित है कि सरकारी हो या निजी प्रत्येक क्षेत्र की कार्यप्रणाली अत्याधुनिक तकनीकी युक्त है ऐसे में जिन्हें ऑनलाइन कार्यप्रणाली से संबंधित उचित जानकारी का अभाव होता है उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करने के साथ साथ तथाकथित सभ्य समाज में हेय दृष्टि से भी देखा जाता है। निम्र आर्थिक स्थिति, लिंग भेद, ग्रमीण शहरी जीवन स्तर में अन्तर के कारण डिजिटल असमानता की समस्या भरत जैसी विकासशील देश की तकनीकी प्रगति की राह में बाधक है।तकनीकी साक्षरता के अभाव में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता में कमी से व्यक्तिगत विकास भी प्रभावित होता है। प्रत्येक हाथ में विभिन्न प्रकार के विशिष्टताओं वाले स्मार्ट फ़ोन तो हैं परंतु समय के साथ उनके स्मार्ट उपयोग का कौशल भी आवश्यक है, क्युंकि यही तकनीकी प्रतिभा साईबर ठगी एयर डिजिटल अर्रेसट जैसे नवीनतम अपराधिक गतिविधियों से सुरक्षित रखती है। विद्युत गति से चल रही संचार क्रांति एआइ युग में डिजिटल साक्षरता के महत्व को देखते हुए ही संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आने वाले निजता और शिक्षा के अधिकार की तरह तकनीकी साक्षरता को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है। केवल शिक्षा, चिकित्सा विज्ञान ही नहीं अपितु आधुनिकीकरण के व्यापक साम्राज्य में सम्मिलित अनेक क्षेत्रों के विकास में प्रतिव्यक्ति आय के योगदान की तरह प्रतिव्यक्ति साक्षरता भी आवश्यक है।
तकनीकी असमानता सुरक्षित समाज की विचारधारा पर अभिशाप की तरह साबित न हो इसलिये यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सम्पूर्ण साक्षरता की तरह डिजिटल साक्षरता भी अनिवार्य हो, तभी वर्ग भेद और बेरोजगारी जैसी सामाजिक और अर्थिक समस्याओं को दूर किया जा सक्त है। इसके लिए भावी पीढ़ी को मजबूत बनाने की दिशा में प्रारंभिक शैक्षणिक स्तर से ही प्रयास के साथ सरकार द्वारा राष्ट्रिय डिजिटल साक्षरता मिशन जैसे कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं परंतु नई पीढ़ी भी इस डिजिटल दुनिया में कदम से कदम मिलाकर चल स्वयं को गौरान्वित उर आत्मनिर्भर समझे इसके लिए भी प्रयास कर्ने होंगे ताकि डिजिटल दुनिया किसी के लिए भी दिवा स्वप्न की तरह ना हो बल्कि वास्तविकता के धरातल पर तकनीकी प्रतिभा सम्पन्न हो।