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कूटनीति के पार अब पाक प्रायोजित आतंक पर सटीक वार की तैयारी

—विनय कौड़ा
(अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार)

जयपुरMay 01, 2025 / 01:26 pm

विकास माथुर

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला न केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि हमारे संयम की भी परीक्षा है। भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने, अटारी बॉर्डर बंद करने और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे कई कड़े कूटनीतिक कदम उठाए। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि पाकिस्तान के खिलाफ और अधिक कठोर कार्रवाई की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि निर्णायक कार्रवाई का समय आ गया है। उन्होंने तीनों सेनाओं को समय और लक्ष्य चुनने की पूरी छूट देकर एक कड़ा संदेश दिया है। पाक-समर्थित आतंक के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के लिए भारत के पास कई विकल्प मौजूद हैं।
  1. हवाई सर्जिकल स्ट्राइक – 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक में भारत ने शानदार रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन किया था। उसी तर्ज पर भारतीय वायुसेना पुन: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बना सकती है। मिराज-2000, सुखोई-30 एमकेआइ, राफेल जैसे लड़ाकू विमान तथा स्पाइस-2000, क्रिस्टल मेज, हैमर जैसी स्मार्ट बम प्रणालियां इस अभियान में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं। हालांकि, यह आशंका बनी रहेगी कि पाकिस्तान इस स्ट्राइक को युद्ध की शुरुआत मानते हुए जवाबी कार्रवाई कर दे।
  2. विशेष बलों द्वारा गुप्त अभियान – भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्सेज और नौसेना की मार्कोस इकाइयां गुप्त अभियानों में अत्यंत दक्ष हैं। वर्ष 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक इसका ठोस प्रमाण है। पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में घुसकर आतंकी ठिकानों या उनकी लॉजिस्टिक आपूर्ति को नष्ट करना न केवल सामरिक रूप से, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी अत्यंत प्रभावशाली कदम होगा।
  3. ड्रोन से डिकैपिटेशन स्ट्राइक – भारत अब अत्याधुनिक सशस्त्र ड्रोन क्षमता से लैस है, जिसमें अमरीकी एमक्यू-9बी सी गार्जियन और स्वदेशी ‘तपस’ ड्रोन शामिल हैं। ये ड्रोन सीमापार छिपे आतंकियों और उनके सरगनाओं पर सटीक ‘डिकैपिटेशन स्ट्राइक’ कर सकते हैं। ऐसी कार्रवाई अपेक्षाकृत कम जोखिम भरी है, क्योंकि इसमें जमीनी सैनिकों की भागीदारी नहीं होती। फिर भी, यदि हमला चूक गया या नागरिक हताहत हुए, तो अंतरराष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
  4. आइएसआइ नेटवर्क पर साइबर हमला – भारत की डिफेंस साइबर एजेंसी अब इतनी सशक्त हो गई है कि वह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा संचालित आतंकी फंडिंग, संचार नेटवर्क और सोशल मीडिया प्रचार अभियानों को निष्क्रिय कर दे। आइएसआइ के दुष्प्रचार को विफल करना और बिटकॉइन जैसे माध्यमों से आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकना, एक निर्णायक रणनीतिक सफलता हो सकती है। हालांकि चीन की मदद से पाकिस्तान का साइबर पलटवार संभव है, इसलिए भारत को अपनी साइबर डिफेंस पहले से मजबूत रखनी होगी।
  5. एलओसी पर जवाबी तोपबारी – एलओसी पर स्थित उन पाकिस्तानी चौकियों को, जो लंबे समय से आतंकवादियों की कश्मीर में घुसपैठ में सहायक रही हैं, पिनाका रॉकेट सिस्टम और के9 वज्र होवित्जर जैसे आधुनिक हथियारों से लक्षित हमले कर सटीक रूप से नष्ट किया जा सकता है। यह एक पारंपरिक किंतु प्रभावी रणनीति है, जो सीमित सैन्य दबाव बनाकर शत्रु को स्पष्ट चेतावनी देती है। इस विकल्प की मुख्य चुनौती पाकिस्तान की प्रतिक्रिया से युद्ध जैसी स्थिति का बनना है।
  6. समुद्री नाकाबंदी – भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में निर्णायक प्रभुत्व रखती है। आइएनएस विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोत और स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के माध्यम से भारत, पाकिस्तान के लिए रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण ग्वादर बंदरगाह और होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे व्यापारिक मार्गों को अवरुद्ध कर सकता है। ऐसी कार्रवाई पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। हालांकि इसके परिणामस्वरूप खाड़ी देशों की नाराजगी सामने आ सकती है जो भारत के लिए राजनयिक दृष्टिकोण से सिरदर्द बन सकता है। अत: यह रणनीति सिर्फ सीमित अवधि के लिए अस्थायी विकल्प के रूप में अपनाई जानी चाहिए।
  7. विदेशों में आतंकी वित्तपोषण का गुप्त उन्मूलन – यदि मोसाद की भांति भारतीय खुफिया एजेंसियां विदेशी धरती पर आइएसआइ से संबद्ध आतंकवादी फंडिंग नेटवर्क, लॉजिस्टिक आपूर्ति शृंखला और सहायक तंत्र को गुप्त रूप से निष्प्रभावी करने में सफल होती हैं तो यह कदम पाकिस्तान की आतंकवाद-आधारित रणनीति को गहरी चोट पहुंचा सकता है।
    बदलती भू-राजनीति में नैतिकता की शक्ति तभी प्रभावी है, जब वह सैन्य सामथ्र्य से समर्थित हो। भारत के लिए अब समय आ गया है कि वह अपनी सैन्य ताकत से जता दे कि वह आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को उनके ठिकानों में घुसकर दंडित करने का सामथ्र्य रखता है। यह आवश्यक नहीं कि पहलगाम हमले का प्रत्युत्तर एक व्यापक युद्ध हो। सीमित, लक्षित और रणनीतिक सैन्य कार्रवाइयों के जरिए भारत वह कठोर संदेश दे सकता है जो सिर्फ कूटनीतिक मंचों के माध्यम से नहीं दिया जा सकता। संदेश साफ हो कि अब ‘छद्म युद्ध’ की कीमत पाकिस्तान को पहले से कहीं अधिक चुकानी पड़ेगी।

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