scriptपत्रिका में प्रकाशित अग्रलेख: लुटेरों के हवाले | Patrika Group DY Editor Bhuwanesh Jain Article Pravah On Transport Department Corruption On 20th February 2025 | Patrika News
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पत्रिका में प्रकाशित अग्रलेख: लुटेरों के हवाले

परिवहन विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है- यह एक बार फिर सिद्ध हो गया। जयपुर आर.टी.ओ. के अफसरों-बाबूओं ने मिलकर हजारों ई-रिक्शों को फर्जी तरीके से सब्सिडी दे दी।

जयपुरFeb 20, 2025 / 01:14 pm

भुवनेश जैन

भुवनेश जैन

परिवहन विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है- यह एक बार फिर सिद्ध हो गया। जयपुर आर.टी.ओ. के अफसरों-बाबूओं ने मिलकर हजारों ई-रिक्शों को फर्जी तरीके से सब्सिडी दे दी। शहर की सड़कों पर कॉकरोचों की तरह ई-रिक्शे उतारकर अव्यवस्था फैला दी। जनता के पैसे को फर्जी सब्सिडी में लुटा दिया। निश्चित ही उन्होंने पाप की कमाई से अपने परिवारों की सुख-सुविधाएं बढ़ाई होंगी। इस पर तुर्रा यह कि आर.टी.ओ. बेशर्मी से कह रहे हैं कि डीटीओ, बाबू दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
कौन नहीं जानता कि परिवहन विभाग भ्रष्टतम सरकारी विभागों में अग्रणी रहता आया है। ग्वालियर और जयपुर में तो पिछले माह ही करोड़ों के वारे-न्यारे करने वाले परिवहन अधिकारी जांच एजेंसियों के शिकंजे में आ गए थे। यह तो नमूना मात्र है। परिवहन विभाग में शायद ही ऐसा काम हो जो बिना रिश्वत के होता हो। इसके लिए दलालों की पूरी फौज तैनात होती है। बल्कि अफसर और कर्मचारी अपनी सीटों तक पर सीधे दलालों को बैठाने लग गए। काम बड़ा हो या छोटा, प्रतिदिन लाखों रुपए भ्रष्ट कर्मचारियों की जेब में जाते हैं। इस काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा उच्चाधिकारियों से लेकर सत्ता के शीर्ष तक जाता रहा है। भ्रष्टाचार का पूरा सिस्टम बना हुआ है। लाखों रुपए देकर पदों पर तैनाती होती है। यही कारण है कि परिवहन विभाग के अफसर आम जनता को कीड़े-मकौड़े समझने लगते हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जनता को परेशानियों से छुटकारा दिलाने के लिए ‘पत्रिका’ लर्निंग लाइसेंस शिविर लगाती थी। काली कमाई का एक बड़ा रास्ता बंद होते देख भ्रष्ट अफसरों ने इन शिविरों को ही बंद करवा दिया।
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इससे ज्यादा दुर्दशा क्या होगी कि राजधानी में करीब बीस हजार अवैध ई-रिक्शा चल रहे हैं। एक-एक रजिस्ट्रेशन पर पांच-पांच अवैध रिक्शा चल रहे हैं। ये अवैध ई-रिक्शा भ्रष्ट ‘जनप्रतिनिधियों’ के संरक्षण में सार्वजनिक बिजली की चोरी से चार्जिंग करते हैं। बिजली विभाग और नगर निगम भी आंख मूंद लेते हैं या उनकी आंखें मूंद दी जाती हैं।

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अगर आर.टी.ओ. यह कह रहे हैं कि ‘गलत रजिस्ट्रेशन कराने वाले ई-रिक्शा पर कार्रवाई की जाएगी और डीटीओ और बाबू दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ ‘विभागीय कार्रवाई’ की जाएगी’- तो इसका अर्थ यह माना जाना चाहिए कि वे पहले ही विभाग के दोषी अफसरों-कर्मचारियों को बचाने का मानस बना चुके हैं। होना तो यह चाहिए कि विभागीय कार्रवाई ही नहीं, मुकदमे दर्ज होते और जनता के पैसे लूटने वालों को सेवा से बर्खास्त कर के सींखचों में डाला जाता। पर सब जानते हैं कि किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा। मंत्री से लेकर शीर्ष अफसर तक आंख मूंद लेंगे। ज्यादा हुआ तो एक-दो छोटे कर्मचारियों पर नाम मात्र की कार्रवाई कर दी जाएगी। जब भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन जाए तो ऐसी ही खानापूर्ति कर अवैध कमाई का सतत् प्रवाह जारी रखा जाता है। जिस समाज में जनता सो जाती है, उस पर लुटेरे ऐसे ही हावी हो जाते हैं।
bhuwan.jain@epatrika.com

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