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आपकी बात…क्या डिजिटल शिक्षा भविष्य में भारतीय शिक्षा प्रणाली की नींव बन सकती है?

पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं मिलीं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं…

जयपुरMay 01, 2025 / 02:35 pm

विकास माथुर

उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता
डिजिटल शिक्षा, शिक्षा को अधिक सुलभ, लचीला और व्यक्तिगत बनाने की क्षमता रखती है। दूरस्थ क्षेत्रों तक शिक्षा पहुँचाने, गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराने और छात्रों को अपनी गति से सीखने का अवसर प्रदान करने में डिजिटल शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके लिए उचित बुनियादी ढाँचा, शिक्षकों का प्रशिक्षण और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
-डॉ अभिनव शर्मा,अलवर, राजस्थान
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शिक्षा की हर व्यक्ति तक पहुंच सुलभ
डिजिटल शिक्षा के प्रयोग से शिक्षा की लागत में कमी आएगी। शिक्षा तक हर व्यक्ति की पहुँच मज़बूत होगी। यह व्यक्तिगत शिक्षा के अनुरूप होगी जिससे बच्चों में शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा। छात्रों को नई तकनीकों की समझ होगी। इसके साथ ही कई चुनौतियाँ भी पैदा होंगी, जैसे सामाजिकता और इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी, डिजिटल डिवाइसेज़ की कमी, साइबर सुरक्षा की चुनौती आदि देखी जा सकती हैं।
— दामोदर शर्मा, लूणकरणसर (राज.)
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डिजीटल में शिक्षक—शिक्षार्थी के बीच व्यक्तिगत संवाद नहीं
डिजिटल शिक्षा, भारतीय प्रत्यक्ष शिक्षा प्रणाली की नींव के रूप में विकल्प कभी नहीं बन सकती। डिजिटल शिक्षा में शिक्षा शिक्षार्थी के मध्य व्यक्तिगत संवाद एवं समस्या समाधान का अवसर नहीं रहता है !
कैलाश सामोता, रानीपुरा, शिक्षक, आमेट, राजसमंद
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दूरदराज के इलाकों में डिजीटल शिक्षा उपयोगी
भारतीय शिक्षा की मजबूत नींव के लिए मूल पाठ्यपुस्तकों का गहन अध्ययन जरूरी है। आपसी चर्चा और संवाद भी आवश्यक है। डिजीटल शिक्षा भविष्य मेें भारतीय शिक्षा के शैक्षणिक विकास में सहयोगी बन सकती है। डिजीटल शिक्षा से दूर दराज के गांवों—कस्बों में बच्चों को गुणवत्तापरक अध्ययन सामग्री मिल सकती है, जिससे उन्हें इसका फायदा मिल सकता है।
— उध्दव जोशी, उज्जैन
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हर विद्यार्थी को मिलेगा समान अवसर
जैसे चैत्र की नव कोपलें नई आशा का संचार करती हैं, वैसे ही यह तकनीक ज्ञान के नए द्वार खोलेगी। यह शिक्षा को घर-घर पहुँचाकर, हर विद्यार्थी को समान अवसर प्रदान करेगी, जिससे भारत की ज्ञान-गंगा और भी समृद्ध होगी।
— राजूराम प्रजापत, नागौर, राजस्थान
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डिजिटल शिक्षा अकेले नींव नहीं बन सकती
केवल ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों का सामाजिक और भावनात्मक विकास सीमित रहेगा। पारंपरिक शिक्षा के साथ मिलकर एक “संयुक्त रूप” भविष्य की मजबूत आधारशिला बन सकती है। सरकार, समाज और तकनीकी कंपनियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। अब दीक्षा, स्वयं, ईपाठशाला आदि डिजिटल संसाधनों का विकास हो रहा है। डिजिटल शिक्षा में लचीलापन है। जिससे छात्र अपनी गति से और अपने समय पर सीख सकते हैं।
— डाॅ. मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ
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डिजिटल और पारंपरिक शिक्षा में हो संयोजन
डिजिटल शिक्षा प्रणाली समावेशी व सुलभ बनाकर ज्ञान को व्यापक स्तर पर पहुंचाने और शिक्षकों की कमी दूर करने में सहायक है। डिजिटल विभाजन, तकनीकी निर्भरता और मानवीय संपर्क की कमी इसके बड़े नुकसान हैं। संतुलन बनाकर, डिजिटल और पारंपरिक शिक्षा के संयोजन से ही एक मजबूत और समावेशी शिक्षा व्यवस्था संभव है।
— अमृतलाल मारू ‘रवि‘ इंदौर मप्र

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