नर्सिंगकर्मी मरीजों को चिकित्सक की ओर से लिखी दवा लेने का तरीका भी बताएंगे। मरीज के अति गंभीर होने पर चिकित्सक से सलाह लेकर दवा में बदलाव भी करेंगे। यह होम बेस्ड पैलिएटिव केयर सुविधा पायलट प्रोजेक्ट के तहत पाली और अजमेर में शुरू करना प्रस्तावित किया गया है। इसके सफल होने पर इसे पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा।
राजस्थान में ई-बस और मेट्रो फेज-2 को लेकर दिल्ली में आज अहम बैठक, CM भजनलाल संग केंद्रीय मंत्री खट्टर होंगे मौजूद
इन बीमारियों में होम पैलिएटिव केयर उपयोगी
-कैंसर, हृदय रोग, किडनी खराब होना, लीवर की गंभीर बीमारी, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां, बुजुर्गों में मल्टीपल क्रॉनिक कंडीशन आदि।
-मरीज को दर्द, उल्टी, सांस की तकलीफ, बेचैनी आदि से राहत देना। इसके लिए दवाओं के साथ अन्य तरीकों से नियंत्रण किया जाता है।
-मरीज और परिवार को मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद से दूर रखना। काउंसलिंग कर भावनात्मक सहयोग देना।
-इसमें मरीज की आस्था और विश्वास के अनुसार आध्यात्मिक सहयोग भी मिलता है।
-परिवार के लोग भी मरीज की बेहतर देखभाल कर पाते हैं। उनको अस्पताल के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं रहती।
-मरीज के घर पर रहने से उपचार और खर्च भी कम हो जाते हैं।
प्रोजेक्ट का उद्देश्य
होम बेस्ड पेलिएटिव केयर प्रोजेक्ट का उद्देश्य में गंभीर या अंतिम अवस्था में चल रहे मरीजों की देखभाल उनके घर जाकर करना है, जिससे उन्हें अस्पताल में अकेले न रहना पड़े और वे अपने घर पर परिजनों के बीच में रह सकें। मरीज और उनके परिवार को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक राहत प्रदान करना है। इसका सबसे अधिक फायदा यह होगा कि मरीज की पूरी जानकारी नर्सिंगकर्मी और चिकित्सक के पास रहेगी और अनावश्यक भागदौड़ में लगने वाले समय की बचत भी होगी साथ ही परिजन भी निश्चिंत रहेंगे।
पाली और अजमेर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत होम बेस्ड पैलिएटिव केयर शुरू किए जाने हैं। इसमें ऐसे रोगियों की चिकित्साकर्मी घर पर ही जांच करेंगे, जो अंतिम अवस्था में हैं। इससे वे लोग अस्पताल के बजाय पूरे परिवार के साथ रह सकेंगे और उनको बेहतर अनुभव होगा।
…डॉ. विकास मारवाल, सीएमएचओ (पाली)