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CG News: छत्तीसगढ़ में लागू हुई केंद्र सरकार की नई योजना, दुर्घटना में घायलों को मिलेगा 1.50 लाख तक मुफ्त इलाज प्रदेश में भी केंद्र सरकार की सड़क दुर्घटना नकदी रहित उपचार स्कीम-2025 लागू कर दी गई है। हालांकि
अस्पतालों का नाम फाइनल नहीं किया गया है। संभावना है कि राज्य शासन से अधिमान्य अस्पतालों में घायलों का इलाज किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए मल्टी या सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों की जरूरत पड़ेगी। सड़क दुर्घटना में ज्यादातर हेड इंजुरी होती है।
ऐसे मामलों में इलाज के लिए न्यूरो सर्जन की जरूरत पड़ेगी। हड्डियों में फ्रैक्चर भी होता है। ये इलाज ऑर्थोपीडिक सर्जन करेंगे। पेट, चेहरे व जबड़ा पर भी चोट आती है। ऐसे मरीजों का इलाज जनरल सर्जन व डेंटिस्ट करते हैं। ये सभी विशेषज्ञ जहां होंगे, वहां घायलों के त्वरित इलाज में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर मरीज को एक अस्पताल में भर्ती कर दूसरे अस्पताल में रेफर करना पड़े तो मरीजों की जान बचाने में खास मदद नहीं मिल पाएगी।
हैल्थ इंश्योरेंस व एडवांस जमा करने की जरूरत नहीं सड़क दुर्घटना में घायलों के लिए कोई आय सीमा तय नहीं की गई है। इसमें एपीएल-बीपीएल की कोई श्रेणी नहीं है। यानी केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ सभी उठा सकेंगे। इसके लिए बीमा पॉलिसी या एडवांस पेमेंट की जरूरत भी नहीं होगी। योजना का संचालन नेशनल हैल्थ अथॉरिटी की विशेष कमेटी करेगा।
राज्य सड़क सुरक्षा समिति नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगी। इलाज की प्रक्रिया डिजिटल होगी। पुलिस की ई-डीएआर एप्लीकेशन पर दुर्घटना का रेकॉर्ड बनेगा। मरीज को नजदीकी अस्पताल भेजा जाएगा। इलाज के बाद अस्पताल ऑनलाइन क्लेम अपलोड करेगा। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी या कलेक्टर स्तर पर क्लेम अप्रूव किया जाएगा। भुगतान सीधे अस्पताल को मिलेगा।
हैल्थ डायरेक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया इस मामले में पत्रिका ने जब अस्पतालों की जानकारी के लिए कमिश्नर व हैल्थ डायरेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला को कॉल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैसेज का भी कोई रिप्लाई नहीं किया।
प्रदेश में राजधानी के अलावा दूसरे जिलों में ट्रामा सेंटर की खास सुविधा नहीं है, जबकि प्रदेश में 10 सरकारी मेडिकल कॉलेज है। इनमें सिम्स बिलासपुर, जगदलपुर में न्यूरो सर्जन है। बाकी कॉलेज व इससे संबद्ध अस्पतालों में न्यूरो सर्जन नहीं है। इसलिए एक्सीडेंट में गोल्डन ऑवर में इलाज होने से गंभीर मरीजों की जान बचाने में मदद मिलती है। अगर किसी मरीज की हेड इंजुरी है तो उन्हें हर हाल में एक से डेढ़ घंटे में इलाज मिलना अनिवार्य है। तभी गंभीर की जान बचाने में मदद मिलेगी। जरूरतमंदों को एक सप्ताह तक डेढ़ लाख का फ्री इलाज मिल सकेगा।