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रायपुर

RTE Admission 2025: आरटीई दाखिले में जटिल नियम बने बाधा, बच्चों का सपना अधूरा..

RTE Admission 2025: RTE एडमिशन 2025 को लेकर रायपुर में अभिभावक परेशान हैं। नाम सूची में नहीं आने, भाषा की समस्या और दूरस्थ स्कूलों में प्रवेश जैसी शिकायतों को लेकर वे DEO कार्यालय पहुंच रहे हैं।

रायपुरJul 14, 2025 / 12:41 pm

Shradha Jaiswal

आरटीई दाखिले में जटिल नियम बने बाधा(photo-patrika)

आरटीई दाखिले में जटिल नियम बने बाधा(photo-patrika)

RTE Admission 2025: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सर, हमने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत आवेदन भरा था, लेकिन नाम नहीं आया, 2011 की गरीबीरेखा सूची में नाम नहीं है क्या करें, हमें अंग्रेजी नहीं आती है, मेरे बच्चे का प्रवेश अंग्रेजी मीडियम स्कूल में हो गया है हिन्दी में करवाना है, स्कूल दूर है वहां प्रवेश नहीं ले पाएंगे, क्या करें? कुछ ऐसी ही शिकायतें और पूछताछ को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अभिभावक पहुंच रहे हैं।

RTE Admission 2025: आरटीई के तहत दाखिला

अभी पूरे राज्य में आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया जारी है। दूसरे राउंड के तहत आवेदन की प्रक्रिया बंद हो गई है, लेकिन अभी भी इस साल की लगभग 9 हजार सीटें खाली हैं। आरटीई की सभी सीटों में प्रवेश कराने को लेकर शिक्षा विभाग की चिंता साफ दिखाई देती है तभी तो पहले राउंड में प्रवेश की तारीख खत्म होने के बाद भी प्रवेश प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन खाली सीटों रहने के पीछे गलती विभाग की भी है।
जानकारों की मानें तो पिछले दो साल में 1 लाख से ज्यादा आवेदन मिले, लेकिन सीट उनसे आधी होने के बाद भी 8 हजार से ज्यादा सीटें रिक्त रह गईं। इसमें सबसे बड़ा कारण प्रवेश नियमों में खामी है। 14 साल पुराने नियम में आज तक कोई संशोधन नहीं किया गया है। इस कारण काफी सारे आवेदन चयनित भी नहीं पाते हैं। चयनित होने वाले कई छात्रों को स्कूल दूर मिलने, सामाजिक परिवेश जैसे कारणों से भी प्रवेश नहीं लेते हैं।

नियमों में बदलाव जरूरी

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत योजना का लाभ जरूरतमंद छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा देना है, लेकिन नियम ऐसे है जिसके कारण जरूरतमंद छात्रों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। आरटीई के प्रवेश के लिए 2011 में गरीबी रेखा सूची की आवश्यकता होती हे।
इसमें उनके परिवार का नाम होना चाहिए। 14 साल पुरानी सूची होने के कारण बहुत सारे परिवार के बच्चे आवेदन ही नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार गरीब और जरूरतमंद होने के बावजूद भी बड़ी संया में बच्चे नियमों के कारण प्रवेश नहीं ले पाते हैं।

फिर न हो वहीं हाल

पिछले साल 8 हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई थी। जबकि 1 लाख 22 हजार से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। वहीं 2023 में 1 लाख 18 हजार से ज्यादा आवेदन आने के बाद भी 8859 सीटें खाली रह गई थी। ऐसे ही हर साल होता है। इस साल भी लगभग एक लाख आवेदन होने के बाद भी अभी भी लगभग 9 हजार सीटें खाली हैं। इसे देखते हुए यही लग रहा है कि पिछले साल की तरह ही इस साल भी न हो जाए।

प्रवेश अर्हता में संशोधन की आवश्यकता

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा की ज्यादातर हिन्दी मीडियम स्कूलों में सीटें खाली रह जाती हैं। वहीं अंग्रेजी माध्यम स्कूल दूर होने के कारण भी बच्चे प्रवेश नहीं लेते हैं। साथ ही प्रवेश नियमों के कारण भी सीटें नहीं भर पाती है। प्रवेश की अर्हता में संशोधन की आवश्यकता है।

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