12 से 13 साल व इससे भी कम उम्र वाले शामिल
यही मोटापा डायबिटीज का कारण बनता है। टाइप-2 डायबिटीज वाले बच्चों की उम्र 12 से 13 साल व कई बार इससे कम उम्र वाले भी शामिल हैं। युवाओं में भी डायबिटीज के केस बढ़ रहे हैं, जो चिंताजनक है। डॉक्टरों के अनुसार, टाइप-2 डायबिटीज गलत खानपान व जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। आंबेडकर के पीडियाट्रिक विभाग में शुगर क्लीनिक अलग से तो नहीं है, लेकिन यहां इंडोक्रियोनोलॉजिस्ट सेवाएं दे रहे हैं। वे डायबिटीज से पीड़ित बच्चों का इलाज करने लगे हैं।हर गली-मोहल्ले में बिक रहा सॉफ्ट ड्रिंक
राजधानी के हर गली-मोहल्लों में रंगबिरंगे सॉफ्ट ड्रिंक बिक रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इसका असर टाइप-2 डायबिटीज पर हो रहा है। 10 साल पहले गिनती के मरीज आते थे। अब इसकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। बच्चों में मोटापा, पेट पर चर्बी व फैटी लिवर दिख रहा है। यह चिंताजनक स्थिति है। बचपन से ही बच्चों को मीठे से दूर रखें और खुद भी उदाहरण बनें। पीडियाट्रिशियन डॉ. आकाश लालवानी के अनुसार, एक व्यक्ति को प्रतिदिन 40 ग्राम या इससे कम मात्रा में ही गुड़ या शक्कर का सेवन करना चाहिए। आजकल बच्चों में इसकी मात्रा जरूरत से 5 गुना पहुंच रही है।रोज अधिकतम 25 ग्राम शक्कर ही ठीक
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, रोजाना अधिकतम 25 ग्राम शक्कर खाना ठीक है। इससे ज्यादा स्वास्थ्य के लिए खराब है। 2016 की डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 5 साल तक के बच्चों में मोटापे से ग्रस्त बच्चों की संख्या 41 मिलियन थी। अब इसकी संख्या बढ़ गई है। खासकर भारत में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। देश को डायबिटीज का देश भी कहा जाने लगा है।ज्यादा मीठा व सॉफ्ट ड्रिंक से दूर रखें
ज्यादा शुगर लेना न केवल बच्चों, बल्कि बड़ों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। बच्चों में बढ़ता टाइप-2 डायबिटीज चिंता का बड़ा कारण बनता जा रहा है। बेहतर है कि पैरेंट्स बच्चों को ज्यादा मीठा व सॉफ्ट ड्रिंक से दूर रखें। इससे डायबिटीज नहीं होगी। फैटी लिवर व मोटापा भी ज्यादा शुगर की देन है।- डॉ. शारजा फुलझेले, एचओडी पीडियाट्रिक्स मेडिकल कॉलेज