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किसान फिर मायूस: सब्जियों के भाव औंधे मुंह, खेतों में जमींदोर की तो किसी ने पशुओं को खिलाई..पढ़े पूरी खबर

जिले में सब्जियों की अच्छी पैदावार होने के कारण सब्जियों के भाव नहीं मिल रहे हैं। किसानों को लागत तक नहीं निकलने के कारण कई काश्तकारों ने अपनी फसल को जमींदोज कर दी तो कुछ ने अपने पशुओं को सब्जियां खिला दी।

राजसमंदFeb 24, 2025 / 11:30 am

himanshu dhawal

राजसमंद. सब्जियों के दाम औंधे मुंह गिरने के कारण काश्तकार अपने आप को फिर से ठगा सा महसूस कर रहे है। किसानों ने कड़ी मेहनत करके खेतों में सब्जियों को उगाया, सब्जियां बिक्री के लिए तैयार हुई तब तक मंडी में भाव गिर गए, इससे निराश होकर कुछ काश्तकारों ने पशुओं को सब्जियां खिलाई तो किसी ने खेत में ही सब्जियों को हकवा दिया। जिले में पीपली आचायार्न, कुंवारिया, लसानी, धोईंदा, मोही, ओडा, भाटोली, नाकली, देवगढ़, आमेट, राज्यावास और गिलुण्ड सहित आस-पास के क्षेत्रों में सब्जियों की पैदावार होती है। काश्तकार आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली सब्जी की बिक्री के लिए कांकरोली सब्जी मंडी लेकर आते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से सब्जियों के भाव में कमी के कारण काश्तकार निराश है। सब्जियों को मंडी तक लाकर उसकी तुलाई तक के पैसै नहीं निकल रहे थे, इसके कारण कुछ काश्तकारों ने सब्जियों को पशुओं को खिला दी। होलसेल विक्रेताओं की मानें तो अब धीरे-धीरे सब्जियों के भाव में बढ़ोतरी हो रही है, शिवरात्रि के बाद सब्जियों के भाव में तेजी की उम्मीद जताई जा रही है।

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कई राज्यों से आ रही सब्जियां

विक्रेताओं के अनुसार अधिकांश सब्जियां आस-पास के क्षेत्रों से आ रही है, जबकि कुछ अन्य राज्य से बिक्री के लिए पहुंच रही है। इसमें सूरत से भिंड़ी, बैंगलुरू से अदरक, सूरत से करेला, जोधपुर से गाजर मथनिया और जयपुर से मटर की आवक हो रही है।

सब्जी का नाम भाव प्रतिकिलो

पत्ता गोभी 4 से 5

फूल गोभी 5 से 10

धनिया 5 से 10

पालक 5 से 10

हरे प्याज 10 से 15

शिमला मिर्च 10 से 15

पशुओं को खिलाई गोभी और प्याज

सब्जी की खेती करना इस बार महंगा पड़ा। गोभी ओर प्याज की फसल तैयार हुई और मंडी में भाव गिर जाने से सब्जियों को पशुओं को खिलानी पड़ी। महंगे खाद बीज लाकर सब्जी की खेती की। लेकिन मंडी में भाव नहीं मिलने के कारण मुझे मजदूरी भी नहीं मिल सकी। मंडी के कई बार चक्कर लगाए, लेकिन भाव नहीं मिलने पर मायूस होकर सब्जियां पशुओं को खिलानी पड़ी।
  • भैरुलाल काश्तकार

जमींदोज करनी पड़ी खड़ी फसल

दाखें पकने के समय काग के कंठों में रोग हो जाता है, जिससे वो दाखें नहीं खा सकते हैं। यह कहावत सब्जी की खेती करने वाले काश्तकारों पर चरितार्थ हो गई है। पत्तागोभी, फूलगोभी ओर हरे प्याज की फसल तैयार हुई और मंडी में भाव गिर गए। इससे किसानों का घाटा झेलना पड़ा। जब तक सब्जियों की पैदावार चली तब तक सब्जी मंडी में भाव नहीं आने से सब्जी पशुओं को खिलाई और खड़ी फसल को जमींदोज करना पड़ा।

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