माघ पूर्णिमा का महत्व (Til Dan Ka Mahatv)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार ग्रंथों में माघ को भगवान भास्कर और श्रीहरि विष्णु का महीना बताया गया है। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन जो भी श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। उसके बाद जप और दान करते हैं। इससे उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है।कहा जाता है कि बुधवार को श्रद्धालु सूर्योदय के साथ ही तीर्थ स्थानों पर नदियों में स्नान करेंगे और चंद्रमा और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करेंगे तो उन्हें सुख-समृद्धि मिलेगी। साथ ही माघ पूर्णिमा पर रात में चंद्रोदय के समय चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है।
माघ पूर्णिमा शुभ योग (Magh Purnima Shubh Yoga)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार माघ पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। 12 फरवरी को कुंभ संक्रांति है, इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान किया जाता है। इसलिए माघ महीने में पड़ने वाली यह तिथि बहुत खास हो गई है। इस दिन किए जाने वाले ज्योतिष उपाय से जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहेगी।माघ पूर्णिमा को ‘ब्रह्म पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए बेहद शुभ माना जाता है। विशेष बात है कि माघ पूर्णिमा पर बनने वाले कुछ शुभ योग, सौभाग्य योग, शोभन योग, शिववास योग, गजकेसरी योग, त्रिग्रही योग बनेंगे।
इससे इस दिन श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना और ग्रहों का विशेष शुभ फल मिलेगा। इसी दिन महाकुंभ 2025 का आखिरी शाही स्नान भी है और इसी दिन से कल्पवास का समापन भी हो जाता है। इस दिन चंद्रमा पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन चंद्रोदय शाम 06:08 बजे है।
माघ पूर्णिमा पर दान (Magh Purnima Dan)
ज्योतिषाचार्य के अनुसार मकर संक्रांति की तरह कुंभ संक्रांति पर भी तिल दान का विशेष महत्व है। क्योंकि कुंभ भी शनि की राशि है। खास बात यह है कि यहां सूर्य के साथ सूर्य पुत्र शनि भी विराजमान रहेंगे। यह सूर्य शनि युति कई राशि के लोगों को विशेष फल देने वाली है। खास बात यह कि माघ पूर्णिमा गंगा-यमुना के किनारे संगम पर चल रहे कल्पवास का आखिरी दिन होता है। इस दिन पूरे महीने की तपस्या के बाद माघ पूर्णिमा शाही स्नान के साथ कल्पवास खत्म हो जाता है।इसलिए धार्मिक नजरिये से माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। स्नान-दान की सभी तिथियों में इसे महापर्व कहा जाता है। इस पर्व में यज्ञ, तप और दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा, पितरों का श्राद्ध और जरूरतमंद लोगों को दान करने का विशेष फल है। जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि का दान करना चाहिए।