मकर संक्रांति अन्य संक्रांतियों में विशेष होती है, क्योंकि इसी दिन से देवताओं के दिन की शुरुआत होती है, सूर्य उत्तरायण होते हैं, खरमास खत्म होता है, मांगलिक कार्य शुरू होते हैं और मौसम बदलता है। इस वजह से ठंड असर कम होना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगेगी। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन खासतौर पर किया जाता है।
जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस बार माघ कृष्ण चतुर्थी में पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। मकर संक्रांति को बेहद शुभ योग बन रहा है। इस दिन भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही मंगल पुष्य योग भी बन रहा है।
खास बात यह है कि 19 साल बाद इस दुर्लभ संयोग बन रहा है जिसमें दान, पुण्य आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य फल मिलता है। इस शुभ संयोग के कारण मकर संक्रांति पर दान, स्नान और जप करने का महत्व बढ़ जाता है।
मकर संक्रांति के कौन-कौन से नाम
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार भारत के अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है। मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण, पूर्वी उत्तर प्रदेश में खिचड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का महत्व (Surya Puja mahatv)
डॉ. व्यास के अनुसार मकर संक्रांति पर की गई सूर्य पूजा अक्षय पुण्य के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी देती है। मकर संक्रांति पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए।
नदी किनारे ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज और तिल-गुड़ का दान करें। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो जरूरतमंद लोगों को ऊनी वस्त्र या कंबल का दान जरूर करें।
मकर संक्रांति पर क्या करना चाहिए दान (Kya Daan Kare)
मकर संक्रांति महापर्व काल के दौरान चावल, मूंग की दाल, काली तिल, गुड़, ताम्र कलश, स्वर्ण का दाना, ऊनी वस्त्र आदि का दान करने से सूर्य की अनुकूलता, पितरों, भगवान नारायण और महालक्ष्मी की कृपा मिलती है। इस साल इसमें महालक्ष्मी को प्रसन्नता देने वाला सुकर्मा योग भी सहयोग करेगा, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इन योगों में संबंधित वस्तुओं का दान पितरों को तृप्त करता है। जन्म कुंडली के नकारात्मक प्रभाव को भी दूर करता है और धन-धान्य की वृद्धि करता है।
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कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को 8:54 बजे अपने पुत्र शनि की स्वामित्व वाली मकर राशि में आ रहे हैं। इसी दिन माघ कृष्ण प्रतिपदा में पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। क्योंकि 14 जनवरी को प्रातः काल 10:17 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र और इसके पश्चात पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा।
स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Snan Daan Time)
भविष्यवक्ता डॉ. व्यास के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9:03 बजे से शुरू होगा जबकि यह संपन्न शाम 5:46 बजे होगा। मकर संक्रांति का महापुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9:03 बजे से सुबह 10:04 बजे तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ है। इसके अलावा स्नान-दान के लिए मकर संक्रांति का पूरा दिन अच्छा माना जाता है। नोटः कुछ कैलेंडर में पुण्यकाल सुबह 9.30 बजे से शाम 5.37 बजे तक और महापुण्यकाल सुबह 9.30 बजे से सुबह 10.50 तक बताया गया है।
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मकर संक्रांति पूजा विधि (Makar Sankranti Puja Vidhi 2025 Simplest)
1. डॉ. अनीष व्यास के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। 2. फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। 3. ऊँ सूर्याय नमः या ऊँ घृणि सूर्याय नमः या कोई और सूर्य मंत्र जपते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने की विधि पूरी करें, इसके अलावा शनिदेव को भी जल अर्पित करें। 4. इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।