भाजपा विधायक दर्द छलका
विधायक नागेंद्र सिंह के घर का रीवा के सबसे पुराने मोहल्ले बांसघाट में रहते हैं। वहां पर घुटनों तक पानी भर गया है। इसी को लेकर विधायक ने कहा कि मैं जनप्रतिनिधि और खुद बाढ़ पीड़ित हूं। मेरे घर में लबालब पानी भर चुका है। यह हालात कोई आज के नहीं है। 22 साल पहले भी जलभराव को लेकर एक्सपर्ट से राय ली गई थी।
बांध बनाकर पानी रोका जाए
विधायक ने बताया कि एक्सपर्ट की टीम में भोपाल, रीवा के अधिकारी और इंजीनियर शामिल थे। उन्होंने अपनी रिसर्च के बाद एक रिपोर्ट सौंपी थी। जिसमें बिछिया और बीहर नदी के बीच एक बांध बनाकर पानी रोका जाए और फिर उसे नहरों के जरिए किसानों को पानी दिया जाए।
नदियों को चौड़ा और गहरा करना था
नागेंद्र सिंह ने आगे कहा कि दूसरी चीज जो रिसर्च में निकलकर सामने आई थी। वह कांक्रीट प्रोग्राम का जिक्र था। किला के पास दोनों नदियों का संगम है। उस जगह से लेकर ईटहा गांव तक डी सेंटिंग की बात कही गई थी। हैवी मशीन के जरिए दोनों नदियों को चौड़ा और गहरा करना था। हालांकि, उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। तर्क दिया गया कि ऐसा करने पर थोड़ा पानी भी गिरा तो निकालने का कोई साधन नहीं है।
विक्रम ब्रिज आर्किटेक्चर का नायब नमूना
विधायक नागेंद्र सिंह ने बताया कि रीवा में 100-150 सौ साल पुराना विक्रम आज भी आर्किटेक्चर का नायब नमूना है। जो रीवा को कृषि महाविद्यालय से जोड़ता है। उसमें आज तक पानी का लेवल बाढ़ के स्तर पर नहीं जा पाया। उसकी इंजीनियरिंग और डिजाइन बिल्कुल परफेक्ट है, लेकिन उसके बाद जितने भी पुल बने चाहे ईको पार्क के पुल की बात करें या फिर अन्य किसी पुल की। उनका हाल बेहाल है। यानी इंजीनियरिंग और डिजाइन में ही दिक्कत है।
राजनेताओं का दृढ़ इच्छा शक्ति काम नहीं करेगी
नागेंद्र सिंह ने कहा करहिया जाने वाला पुल सकरा और निचला है। जिसकी वजह से पानी की निकासी ही नहीं हो पाती। जिसकी वजह से पानी निकल नहीं पाता और लोगों के घरों में भर जाता है। जहां एयरपोर्ट पर बनाया गया है। वो भी ठीक जगह नहीं है। जब तक प्रशासन और राजनेताओं का दृढ़ इच्छा शक्ति नहीं करेगी। तब तक रीवा के गरीबों को इस बाढ़ से छुटकारा नहीं मिलेगा।
पानी भरने के लिए शासन-प्रशासन ही जिम्मेदार
विधायक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पहले से राजा पुला बना हुआ है, लेकिन उसका लेवल आज तक मेंटेन नहीं किया गया। प्रयाग में 1927 का बना हुआ जमुना ब्रिज, लेकिन वहां आज तक पानी नहीं भरा। शासन प्रशासन ही जिम्मेदार है। अब इस पर काम करने की सख्त जरूरत है।