मूंग खरीदी में भी हुआ था फर्जीवाडा़
शासन ने ग्रीष्मकालीन मूंग का समर्थन मूल्य 8558 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था। जिसके लिए जिले के 16089 किसानों ने पंजीयन कराए थे, इसमें से 10332 किसानों से 1 लाख 97 हजार 196 क्विंटल मूंग की खरीदी की गई थी। मूंग खरीदी में सहकारी समितियों ने सर्वेयर की मिलीभगत से व्यापारियों का कचरा माल खरीद लिया। अगस्त 2024 में भोपाल स्तर से आई टीमों ने जब जिले भर के खरीदी केंद्रों पर जांच-पड़ताल की 38 में से 22 समितियों की 22520 क्विंटल मूंग को अमानक घोषित करते हुए रिजेक्ट कर दिया गया था, जिसकी कीमत करीब 19.27 करोड़ रुपए आंकी गई थी। मूंग खरीदी विपणन संघ कर रहा था, जब फर्जीवाड़ा सामने आया तो कार्रवाई करने की जगह समितियों को ग्रेडिंग का समय दिया और मामला रफा-दफा कर दिया गया।पत्रिका व्यू
सरकारी खरीदी के दौरान यदि फर्जीवाडा़ हुआ है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी खरीदी करने वाली सहकारी समिति और सर्वेयर की होती है, लेकिन वेयर हाउस में भंडारण के बाद यदि माल गायब हुआ है, या फिर भंडारण केवल कागजों पर किया गया है तो इसकी जिम्मेदारी नागरिक आपूर्ति निगम और वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन की होती है। वेयर हाउस में कम मिली 804 बोरियां कहां गई यह तो जांच का विषय है ही, लेकिन इसके साथ अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए।
मेरा तबादला हो गया है
इओडब्ल्यू की कार्रवाई के संबंध में जानकारी नहीं है। करीब एक माह पहले मेरा तबादला विदिशा हो गया था।अनिल कुमार तंतुवाय, तत्कालीन खाद्य आपूर्ति नियंत्रक