प्रधान जिला न्यायाधीश ने कहा कि नेशनल लोक अदालत से पक्षकारगण के समय व धन की बचत होती है। सचिव अंकित श्रीवास्तव ने नेशनल लोक अदालत में गठित खंडपीठों की जानकारी दी। नेशनल लोक अदालत में जिले में कुल 48 खंडापीठों का गठन किया गया, जिसमें लगभग 2500 मामले रखे गए हैं। जिसमें न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से 945 प्रकरण, प्री-लिटिगेशन के 1577 प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के आधार पर किया गया। मोटर दुर्घटना के 39 प्रकरणों का निराकरण कर क्षतिपूर्ति राशि 36, 88,000 रुपए के अवार्ड पारित किए गए। चैक बाउंस के 167 मामलों के निराकरण में 4,10,45,775 रुपए का समझौता अवार्ड किया गया। आपराधिक प्रकृति के शमन योग्य 341, विद्युत के 147, पारिवारिक विवाद के 69, दीवानी व अन्य प्रकृति के 159, बैंक रिकवरी के 23 प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं प्री-लिटिगेशन प्रकरण में बैंकों के 74 , विद्युत विभाग के 552, नगर निगम के 752 और अन्य प्रकृति के 199 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी इस अवसर पर हुआ जिसमें 2,29,44,934 रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।
पति-पत्नी के झगड़े में पिस रहा था मासूम
मकरोनिया निवासी एक महिला खाना समय पर देने को लेकर हुआ विवाद इतना बढ़ गया कि वह एक साल से अलग रह रहे थे, जबकि उनका एक 4 माह का बच्चा भी है। महिला ने भरण पोषण का प्रकरण भी लगा दिया था। लोक अदालत में मामला रखे जाने पर न्यायाधीश रोहित शर्मा, न्यायाधीश रीना शर्मा के प्रयास से पति-पत्नी साथ रहने तैयार हो गए।
जमीनी विवाद में फंसे परिवार को राहत
जमीन संबंधी दावा और रास्ता के निकास को लेकर एक बड़ा परिवार जमीनी विवाद में फंसा हुआ था। व्यवहार न्यायाधीश रीना शर्मा ने उभयपक्ष के बीच बार-बार सामंजस्य व राजीनामा के प्रयास किए। कुटुंबजनों के बीच आपस में बैठकर जमीन का बंटवारा हो गया और न्यायालय की पहल पर उभयपक्षों ने निकासी के लिए एक रास्ता भी बनाने को तैयार हो गए। पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए घरेलु हिंसा के मामले में पति-पत्नी के विवाद के बीच चार वर्षीय बेटी का बचपन खत्म हो रहा था। बेटी के भविष्य को देखते हुए व्यवहार न्यायाधीश की मध्यस्थता में उभयपक्ष की मध्यस्थता में पति-पत्नी के बीच के विवाद को खत्म कराया गया और राजीनामा कर मामला निराकृत हुआ।