शिफ्टिंग की डेट तय नहीं
हालांकि अभी ये तय नहीं है कि इन दोनों स्थानों पर चीतों की शिफ्टिंग कब होगी, लेकिन प्रोजेक्ट में नौरादेही अभयारण्य को तीसरे और बन्नी ग्रासलैंड को चीतों का चौथे घर के रूप में सूचीबद्ध कर लिया है। ऐसे में बारिश के सीजन के बाद कूनो नेशनल पार्क से कुछ चीतों को नौरादेही और बन्नी ग्रासलैंड में शिट किए जा सकते हैं। बताया गया है कि नौरादेही और बन्नी ग्रासलैंड में चीतों की बसाहट के लिहाज से प्रे-बेस बढ़ाने सहित अन्य आवश्यक तैयारियां की जा रही है। वहीं चीता स्टीयङ्क्षरग कमेटी में भी इसको लेकर मंथन शुरू हो गया है। यह भी पढ़े –
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प्रोजेक्ट चीता के तहत देश में चीतों को बसाने के लिए विशेषज्ञों द्वारा 5 राज्यों में 7 लैंडस्कैप में 10 संभावित स्थल चिह्नित किए गए हैं। यही वजह है कि चरणबद्ध तरीके से इन स्थानों पर चीतों को बसाया जाना है। इसकी शुरुआत कूनो नेशनल पार्क से हुई, जहां बीते ढाई साल से प्रोजेक्ट चल रहा है।
वहीं गांधीसागर अभयारण्य को चीतों का दूसरा घर बनाते हुए 20 अप्रेल 2025 को कूनो से यहां 2 चीते शिफ्टिंग किए गए। देश में पहली बार एक जगह से दूसरी जगह चीतों की शिफ्टिंग की सफलता पर कूनो प्रबंधन द्वारा बनाए गए न्यूजलैटर में बताया गया है कि चीतों का तीसरा घर वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश प्रस्तावित है, जबकि गुजरात के बन्नी घास के मैदान में चौथे घर के रूप में काम चल रहा है।
प्रदेश में अभी कुल 31 चीते, इनमें 19 शावक
मध्यप्रदेश में चीतों के 2 घरों में कुल 31 चीते हैं, इनमें कूनो नेशनल पार्क में 29 और गांधीसागर अभयारण्य में 2 चीते हैं। कूनो में 29 चीतों में से 19 शावक हैं और 10 वयस्क चीते हैं। परियोजना डायरेक्टर श्योपुर-शिवपुरी उत्तम कुमार शर्मा ने कहा कि ‘भविष्य में 7 लैंडस्कैप की 10 पोटेंशियल साइट्स पर देश में चीते बसाए जाने हैं। कूनो व गांधीसागर के बाद चीतों के नए घर के लिए मप्र में वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व और गुजरात का बन्नी ग्रासलैंड भी प्रस्तावित है। इन स्थानों पर चीता शिफ्टिंग का निर्णय वरिष्ठस्तर से ही होगा।’