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RO का पानी बताकर पिला रहे नल का जल, लोगों की सेहत से किया जा रहा खिलवाड़

illegal RO plants: मध्य प्रदेश (MP) के सीधी में शुद्ध पानी की किल्लत का फायदा उठाकर अवैध आरओ प्लांट धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। बिना जांच, बिना मानक के सप्लाई हो रहे इस पानी से लोगों की सेहत खतरे में है।

सीधीMar 26, 2025 / 03:22 pm

Akash Dewani

Taking advantage of the shortage of pure water illegal RO plants are being operated in sidhi giving tap water
illegal RO plants: मध्य प्रदेश के सीधी शहर सहित जिले भर में शुद्ध पानी की आपूर्ति की समस्या गंभीर होती जा रही है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही नलों से पर्याप्त और शुद्ध जल की आपूर्ति नहीं होने के कारण आरओ वाटर की मांग तेजी से बढ़ गई है। इसी बढ़ती मांग के कारण गली-गली अवैध आरओ प्लांट संचालित होने लगे हैं। लेकिन, इन प्लांटों के संचालन के लिए आवश्यक खाद्य एवं औषधि सुरक्षा विभाग से पंजीयन अनिवार्य है, जो कि ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत किया जाता है। इसके बावजूद, जिले में कितने पंजीकृत आरओ प्लांट हैं, इसकी जानकारी स्वयं खाद्य एवं औषधि प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।

शुद्ध पानी के नाम पर नल के पानी की डिलीवरी

आरओ प्लांट संचालक शुद्ध पानी के नाम पर बिना किसी गुणवत्ता जांच के पानी की होम डिलीवरी कर रहे हैं। आम नागरिक से लेकर सरकारी कार्यालयों तक में यह पानी धड़ल्ले से सप्लाई हो रहा है। लोग इसे सेहत के लिए लाभकारी समझकर उपयोग कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि आरओ वाटर के नाम पर सिर्फ नल का पानी ऊंचे दामों में बेचा जा रहा है। इस पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है, जिससे लोगों की सेहत के साथ गंभीर खिलवाड़ हो रहा है।

मिलावट की जांच होती है, पर पानी की नहीं

खाद्य एवं औषधि विभाग की ओर से खाद्य पदार्थों की समय-समय पर जांच और सैंपलिंग की जाती है, लेकिन पेयजल की गुणवत्ता जांचने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। अगर उपभोक्ता अपने स्तर पर पेयजल की जांच करवाना चाहें, तो इसके लिए निजी प्रयोगशालाएं उपलब्ध हैं, लेकिन विभागीय स्तर पर ऐसी कोई सुविधा नहीं दी गई है। इसके अलावा, निजी आरओ प्लांट के पानी की जांच के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। लोग जिस पानी का सेवन कर रहे हैं, वह शुद्ध है या नहीं, इसकी जानकारी तक उन्हें नहीं मिल पाती।
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इसलिए बढ़ रही आरओ पानी की मांग

जानकारों के अनुसार, जिले में गिरते जलस्तर के कारण पानी में फ्लोराइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। इससे पानी में खारापन बढ़ता जा रहा है, जिससे लोग नल के पानी की जगह मिनरल वाटर और आरओ वाटर पर निर्भर हो रहे हैं। अब केवल शहर ही नहीं, बल्कि गांवों में भी मिनरल वाटर का उपयोग बढ़ गया है। शादी समारोहों से लेकर रोजमर्रा के कामों तक में आरओ पानी का खूब इस्तेमाल हो रहा है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण पानी का कारोबार करने वाले लोग मिनरल वाटर के नाम पर साधारण पानी ठंडा करके बेच रहे हैं।
शहर में पानी के कैन लेकर होम डिलीवरी करने वाले वाहन दिनभर दौड़ते रहते हैं। इसके अलावा, पानी पाउच और बोतलों में पैकिंग कर भी पानी सप्लाई किया जा रहा है। पानी के पाउच और बोतलों में निर्माण तिथि का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता, और कई कंपनियों के पाउच में आईएसआई मार्का भी नहीं होता, जबकि यह शासकीय मानकों के अनुसार अनिवार्य है। शहर सहित पूरे जिले में शुद्ध पानी के नाम पर चल रहे इस अवैध कारोबार से प्रशासनिक अधिकारी भी अनभिज्ञ बने हुए हैं। पानी की पैकिंग से लेकर विक्रय तक में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
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शुद्ध पानी में जरूरी मिनरल्स की कमी से बढ़ रहीं बीमारियां

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पीने के पानी में सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम की उचित मात्रा का होना आवश्यक है। यदि पानी में इन खनिज तत्वों की कमी हो जाए, तो लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। अशुद्ध पानी का सेवन करने से शरीर में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो दीर्घकालिक रूप से स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?

खाद्य एवं औषधि सुरक्षा अधिकारी दनेश लोधी का कहना है कि आरओ प्लांट का ऑनलाइन पंजीयन किया जाता है, और वर्तमान में कितने पंजीकृत प्लांट हैं, यह देखने के बाद ही जानकारी दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि पैक्ड पानी की जांच उनके विभाग द्वारा की जाती है, लेकिन कैन वाले पानी की जांच के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग अधिकृत है। यदि कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो आरओ प्लांट की जांच की जाएगी।

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