यूं शुरू हुई थी प्रेम कहानी
इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार 1921 में जन्में हरदयाल सिंह अजमेर की मेयो कॉलेज में पढ़े थे। युवराज घोषित होने के बाद वह नीलगिरी, मसूरी व देहरादून घूमने गए थे। जहां उनकी मुलाकात नेपाल के मंत्री राणा जंग बहादुर की बेटी आद्या कुमारी से हुई। दोनों के बीच प्रेम प्रसंग शुरू होने के बाद 8 फरवरी 1942 में लखनउ के चंद्र भवन में दोनों की शादी हुई लेकिन, आद्या कुमारी से युवराज का साथ दो साल ही रहा। बेहद धार्मिक आद्याकुमारी का 1944 में देहांत हो गया। मौजूदा दीवान मार्केट स्थित राजघराने के शमशान में उनका अंतिम संस्कार हुआ था। युवरानी की मौत पर युवराज हरदयाल काफी टूट गए और वह उनके अंत्येष्टि स्थल पर ही लंबा समय बिताने लगे। शाम को अंधेरा होना खटकने लगा तो उन्होंने वहां प्रकाश स्तंभ लगवा दिया। बकौल पुरोहित यूरोपियन कल्चर में पढ़े- बढ़े युवराज ने यह प्रकाश स्तंभ वेलेंटाइन डे के दिन ही लगाया था, जो आज भी उनके प्रेम का प्रतीक बना हुआ है।
सीकर की मीरा बाई
आद्याकुमारी धार्मिक महिला थी। उन्हें सीकर की मीरा बाई कहा जाने लगा था। उन्होंने युवराज की शराब पीने की आदत छुड़वा कर रोजाना सुबह माता-पिता के पैर छूने की आदत शुरू करवाई थी। उनकी मौत के बाद युवराज की दूसरी शादी नेपाल सम्राट त्रिभुवन की बेटी त्रैलोक्य राजलक्ष्मी से हुई थी। आद्याकुमारी के नाम पर राव राजा कल्याण सिंह ने स्टेशन रोड पर गुलाबचंद सागरमल सोमाणी के सौजन्य से जनाना अस्पताल का निर्माण कराया था।