प्राचार्य एमके गौतम ने बताया कि कक्षा 10वीं एवं 12वीं के अद्र्धवार्षिक एवं प्री-बोर्ड के आधार पर कमजोर बच्चों को चिन्हित कर उनकी अलग से कक्षाएं लगाई जा रही हैं। चिन्हित कमजोर बच्चों को शिक्षकों को गोद दिया गया है। एक-एक शिक्षक को लगभग 5-6 बच्चे गोद दिए गए हैं। शिक्षक गोद लिए गए बच्चों के घर जाकर उनके माता-पिता और बच्चे से सम्पर्क कर बेहतर परिणाम के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
प्राचार्य एवं शिक्षक सम्पर्क के दौरान बच्चे का घर पर अध्ययन का तरीका, अध्ययन का टाइम टेबल, रात में और सुबह उठकर अध्यायन करने, खेलने, टीवी, मोबाइल देखने में समय व्यतीत करने, खान-पान, मनोरंजन आदि सभी बिन्दुओं कर बारिकी से समीक्षा करते हैं।
जहां भी कमी महसूस होती है, वहां उनके माता-पिता को समझाइस देते हैं और बच्चे को अच्छी पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते हैं।प्राचार्य ने बताया कि बच्चों और उनके माता-पिता से घर-घर सम्पर्क अभियान के दौरान बच्चों को सलाह दी जाती है कि वे रात में और सुबह उठकर पढऩे का एक टाइम टेबल बना लें, जो विषय कठिन लगते हैं उन्हें ज्यादा समय देकर कठिनाई दूर करें, कठिन टॉपिक को शाला में शिक्षकों से समझ कर दूर करें। दो-तीन अच्छे दोस्तोंं का गु्रप बना लें ताकि कठिनाईयों को आपस में भी दूर कर सकें। पढ़ाई के बीच-बीच में थोड़ा मनोरंजन भी आवश्यअक है परन्तु खेलने या मनोरंजन में अधिक समय व्यतीत नहीं करें, टीवी कम देखें या परीक्षा तक के लिए बंद कर दें, मोबाइल का उपयोग बहुत आवश्यक हो तभी करें। हरी सब्जी युक्त पर्याप्त भोजन लेवें, पर्याप्त पानी पीकर शरीर को हाइड्रेड रखें, पर्याप्त नींद भी अच्छे अध्ययन के लिए आवश्यक है। बच्चों को अवांछित गतिविधियों से दूर रहने तथा हमेशा खुश रहने की सलाह भी दी जाती है, ताकि पढ़ाई में उनका मन लग सके। वार्षिक परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र के गेप में बच्चों को पढ़ाने के लिये भी विद्यालय द्वारा योजना बना ली गई है एवं सभी शिक्षकों की बैठक आयोजित कर उन्हेें भी अवगत करा दिया गया है। ये प्रयास इस उद्देश्य के साथ किए जा रहे हैं, ताकि बच्चे तनाव मुक्त रहकर बेहतर परिणाम ला सकें।