जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किए इस आदेश में बताया कि एसपी की ओर से यह फीडबैक मिला है कि जिले में स्थित होस्टल, पीजी, ढाबे, सराये, धर्मशाला में बाहर से आकर कुछ असामाजिक तत्व या संदिग्ध व्यक्ति रहने लग जाते हैं। इसी प्रकार घरेलू नौकर, किरायेदार, विभिन्न कारखानों, ईंट भट्टों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों आदि पर ऐसे लोग काम कर रहे हैं। ऐसे में इन प्रतिष्ठानों के संचालकों ने ऐसे बाहरी लोगों का पुलिस चरित्र सत्यापन नहीं करवाया है। असामाजिक तत्व या संदिग्ध व्यक्तियों की ओर से कानून व्यवस्था या सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की आशंका रह सकती है। जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार उक्त सभी को अपने कार्मिकों या मजदूरों या उनके यहां ठहरने वाले लोगों का पुलिस चरित्र सत्यापन करवाया जाना अनिवार्य होगा। इससे पहले पुलिस अधीक्षक गौरव यादव ने जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट को लिखित में आग्रह किया था कि भारत-पाक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से संबंधित सीमावर्ती जिला होने के कारण आतंरिक सुरक्षा के दृष्टिगत बाहर से आने वाले का पुलिस चरित्र सत्यापन जरूरी है।
इलाके में कई लोग बाहर से आकर स्ट्रीट वैंडर्स के रूप में काम कर रहे है। ऐसे लोगों के बारे में कई बार पुलिस को शिकायत भी गई। वहीं कई ईंट भट़टों पर बाहर से आए मजदूरों की आड़ में संदिग्ध लोग भी यहां डेरा जमा लेते हैं। ऐसे लोगों की पहचान के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश से स्वत: जांच हो सकेगी। विदित रहे कि पहले इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 144 के नाम से जाना जाता था। लेकिन बीएनएसएस की धारा 163 के तहत देश या किसी भी राज्य में आपातकालीन स्थिति व किसी बड़ी परेशानी पर नियंत्रण किया जा सकता है।