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श्री गंगानगर

किस शराब की कितनी खपत: अंग्रेजी शराब-बीयर के शौकीन बढ़े, देसी मदिरा भर रही झोली

आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले ढाई सालों से अंग्रेजी और बीयर पीने के शौकीनों की संख्या बढ़ी है।

श्री गंगानगरFeb 09, 2025 / 03:52 pm

Santosh Trivedi

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प्रतीकात्मक तस्वीर

सुरेंद्र ओझा/श्रीगंगानगर। शराब भले ही सामाजिक बुराई गिनी जाती हो, लेकिन सरकार की नजर में लाइसेंसी शराब विक्रेता कमाऊ पूत हैं। जिले में पिछले 33 महीने में राजकोष में 1126 करोड़ 19 लाख रुपए राजस्व के रूप में वसूल हुए हैं। अभी यह वित्तीय वर्ष समाप्त होने में करीब दो माह है। ऐसे में यह आंकड़ा बढ़ेगा।
जिला आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले ढाई सालों से अंग्रेजी और बीयर पीने के शौकीनों की संख्या बढ़ी है। वहीं, देसी मदिरा के शौकीनों ने सरकार के खजाने झोली भरने में सबसे ज्यादा योगदान दिया है। लाइसेंसी दुकानों पर शराब की बिक्री लगातार बढ़ रही है।
विभाग के अनुसार एक अप्रेल 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक करीब 33 माह में जिले में 535.76 लाख ब्लक लीटर शराब शौकीन गटक चुके हैं। इसके अलावा उचंती में शराब गटकने वालों की संख्या मिला दी जाए तो यह आंकड़ा बढ़ जाएगा। हर साल 180 लाख लीटर शराब की बिक्री हो रही है। इसमें अंग्रेजी, बीयर और देसी मदिरा शामिल है।

आधी रात तक बिकती है शराब

आबकारी विभाग ने रात आठ बजे तक लाइसेंसी दुकानों को खोलने की अनुमति दे रखी है। लेकिन इसके विपरीत देर रात को शराब की दुकानों के शट्टर भले ही बंद हो लेकिन दीवार में किए सुराख से शराब की बिक्री धड़ल्ले से होती है। ऐसी शिकायतों को यह तर्क देते हुए नजरंदाज किया जाता है कि राजस्व वसूली में वे अड़चन नहीं डाल सकते। संबंधित थानों के प्रभारी भी ऐसी बिक्री को गैरकानूनी मानते हैं लेकिन जानबूझकर आंखें मूंदे रहते हैं।

ज्यादा शराब की बिक्री सपन्नता का प्रतीक

जिला आबकारी अधिकारी शिवा चौधरी का कहना है कि शराब की ज्यादा बिक्री इलाके में सपन्नता का प्रतीक मानी जाती है। आय होने पर ही अपने शौक पूरा करने के लिए शौकीन शराब पीते हैं। हालांकि यह सामाजिक बुराई है लेकिन निर्धारित मात्रा में पीने में बुराई नहीं। सरकार हर साल विभाग को राजस्व का टारगेट देती है, उसके अनुरूप यह लक्ष्य पूरे भी हो रहे हैं।

पंजाब से अवैध तरीके से हो रही सप्लाई

जिला मुख्यालय से पंजाब की सीमा महज आठ किमी है। शराब सस्ती होने के कारण पंजाब से शराब की तस्करी होती है। आबकारी विभाग ने पंजाब निर्मित शराब पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन आयोजक सस्ती दर पर पंजाब से सीधे शराब मंगवाते हैं। पुलिस और आबकारी विभाग की छापेमारी के कारण ज्यादातर होटलों और रिसोर्ट में अधिकृत शराब की सप्लाई होती है। लेकिन घरों या उचंती महफिलों में पंजाब की शराब ज्यादा चलन में है।

शादियों में पीने-पिलाने का शौक

इलाका पंजाबी बाहुल्य है। ऐसे में यहां शादी-पार्टियों में शराब पीने और पिलाने का शौक है। इसके अलावा रोजाना सांझ ढलते ही ‘सूर्य अस्त श्रीगंगानगर मस्त’ स्लोगन के साथ अधिकांश पियक्कड़ अपनी महफिल सजा लेते हैं। आबकारी विभाग के अनुसार यदि किसी भी होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट या शादी, बर्थ-डे पार्टी या अन्य कार्यक्रम में बिना लाइसेंस शराब मिलती है तो कानूनी कार्रवाई करते हैं, लेकिन रोज सरेआम शराब पीने और पिलाने का दौर जारी है।

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