scriptRailway News: 10 साल बाद निकली फाइल, अब बठिंडा से फलोदी के बीच बनेगा डबल ट्रेक, तेज होगी ट्रेनों की रफ्तार | process of doubling the railway line between Bathinda to Suratgarh and Bikaner will start soon | Patrika News
श्री गंगानगर

Railway News: 10 साल बाद निकली फाइल, अब बठिंडा से फलोदी के बीच बनेगा डबल ट्रेक, तेज होगी ट्रेनों की रफ्तार

Suratgarh News: इस बार रेल दोहरीकरण बठिण्डा से सूरतगढ़ के बजाय बठिण्डा से बीकानेर होते हुए फलोदी तक किया जाना प्रस्तावित है। जिसके लिए रेलवे ने सर्वे कार्य प्रारंभ कर दिया है।

श्री गंगानगरDec 31, 2024 / 11:44 am

Rakesh Mishra

Indian railway news

प्रतीकात्मक तस्वीर

बठिण्डा से सूरतगढ़ व बीकानेर के बीच रेल लाइन के दोहरीकरण की प्रक्रिया आखिरकार एक दशक बाद फिर से ठंडे बस्ते से बाहर निकली है। वर्ष 2015 में तत्कालीन रेल मंत्री की ओर से रेल बजट के दौरान बठिण्डा से सूरतगढ़ के बीच रेल दोहरीकरण कार्य को हरी झंडी प्रदान की गई थी, लेकिन रेलवे ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
इस बीच रेलवे ने प्रदेश में जोधपुर-मेड़ता-जयपुर, बीकानेर-रतनगढ़-चुरू सहित कई महत्वपूर्ण रेल खंडों पर रेल दोहरीकरण कार्य स्वीकृत कर पूर्ण भी कर लिया, लेकिन बठिण्डा से सूरतगढ़ के बीच रेल दोहरीकरण रेल विभाग की फाइलों में बंद होकर रह गया। इसके लिए सर्वे कार्य भी पूरा किया जा चुका था।

सर्वे कार्य शुरू

आखिरकार करीब एक दशक बाद रेल दोहरीकरण कार्य फिर से शुरु होने जा रहा है, लेकिन इस बार रेल दोहरीकरण बठिण्डा से सूरतगढ़ के बजाय बठिण्डा से बीकानेर होते हुए फलोदी तक किया जाना प्रस्तावित है। जिसके लिए रेलवे ने सर्वे कार्य भी प्रारंभ कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने देशभर में रेलवे के कई रूटों पर रेल लाइनों के दोहरीकरण की घोषणा की थी। इसमें बठिण्डा से सूरतगढ़ के बीच 142 किलोमीटर रेलवे ट्रेक भी शामिल किया गया था। इस बीच केन्द्र सरकार की रेल पॉलिसी में देश में रेलवे ट्रेकों के विद्युतीकरण को प्राथमिकता दी गई।
इसके तहत वर्ष 2022 तक देशभर के समस्त रेलवे ट्रेकों को विद्युतीकृत करने का लक्ष्य रखा गया। इसके चलते बठिण्डा से सूरतगढ़ के बीच रेल दोहरीकरण कार्य ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, लेकिन अब प्रदेश में रेल विद्युतीकरण कार्य लगभग पूरा होने के बाद रेल दोहरीकरण के प्रोजेक्ट्स पर कार्य शुरु हो चुका है।

इन रेल खंडों पर चल रहा सर्वे

बीकानेर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम भूपेश यादव के अनुसार वर्तमान में मंडल के चार रेल खंडों पर चल रहे दोहरीकरण के अलावा बठिंडा-सूरतगढ़-लालगढ़-फलोदी रेल खंड, रेवाड़ी-सादुलपुर रेलखंड तथा लालगढ़-बीकानेर ईस्ट में भी दूसरा ट्रेक बिछाकर दोहरीकरण करवाया जाना प्रस्तावित है।
फिलहाल इन रेल दोहरीकरण कार्यों के लिए रेलवे का सर्वे जारी है। आगामी केन्द्र बजट के दौरान इन रेल खंडों के लिए फंड आवंटित होने की संभावना है। रेल खंडों के दोहरीकरण से ट्रेनें बिना व्यवधान के तेज गति से दौड़ सकेंगी, जिससे यात्रियों के समय में बचत होने के साथ रेलगाड़ियों की गति बढ़ेगी। साथ ही अधिक ट्रेनों का संचालन किया जा सकेगा

अभी मंडल के चार खंडों में चल रहा रेल दोहरीकरण

बीकानेर मंडल से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में मंडल के चार खण्डों में दोहरीकरण कार्य चल रहा है। इसमें बीकानेर रेल मंडल के चूरू रतनगढ़ रेल खंड में लगभग 42 किमी में दोहरीकरण का कार्य हो रहा है। जिसकी लागत 422 करोड़ रूपए की लागत आएगी। यह कार्य वर्ष 2025 में पूरा होने की संभावना है।
वहीं चूरू से सादुलपुर के बीच कुल 57.82 किमी रेलवे रूट का डबलिंग कार्य होना है, इसके 2026 तक पूरा होने की संभावना है। इस कार्य में लगभग 468 करोड़ की लागत प्रस्तावित है। मंडल के भिवानी-डोभभाली रेल खंड में भी 42 किमी का दोहरीकरण कार्य प्रस्तावित है।
इस पर 471.06 करोड रूपए की लागत आएगी। रेलवे के अनुसार यह कार्य 2025 तक पूरा हो जाएगा। इसी प्रकार बीकानेर मंडल के मनहेरु-भवानीखेड़ा रेलखंड पर 413 करोड़ रुपए की लागत से 31 किमी दूसरा रेल ट्रेक बिछाया जाएगा। यह कार्य भी वर्ष 2025 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

दोहरीकरण की मुख्य वजह सूरतगढ़ थर्मल

बठिण्डा से सूरतगढ़ के बीच रेलवे ट्रेक के दोहरीकरण कार्य के स्वीकृत होने की सबसे प्रमुख वजह राजस्थान की सबसे बड़ी सूरतगढ़ सुपर थर्मल विद्युत परियोजना है। वर्तमान में संचालित 1500 मेगावाट के थर्मल की छह यूनिटों में प्रतिदिन 20 हजार मीट्रिक टन कोयला खपत होती है। थर्मल की 250 मेगावाट की एक इकाई में विद्युत उत्पादन के लिए प्रतिदिन 3300 से 3500 मीट्रिक टन कोयला खपत होती है।
ऐसे में 250 मेगावाट की छह इकाइयों के संचालन के लिए प्रतिदिन 6 से 8 मालगाड़ियों की आवश्यकता पड़ती है। वहीं 660-660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल इकाइयों में एक इकाई के लिए प्रतिदिनि 5 हजार मीट्रिक कोयले की आवश्यकता रहती है।
चूंकि बठिण्डा-बीकानेर-जोधपुर-अहमदाबाद-मुबई रेलवे बेहद व्यस्तम रूट है, ऐसे में प्रतिदिन कोयले की मालगाड़ियों को एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों को पासिंग देने के लिए घंटों तक स्टेशनों पर खड़ा किया जाता है। इससे जहां परियोजना में कोल रैक देरी से पहुंचते हैं, वहीं रेलवे के समय व धन दोनों की बर्बादी होती है।

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