पंजाब सरकार के साथ संवाद से जो पानी राजस्थान में श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ बेल्ट के किसानों को मिल सकता है, वो डाउन स्ट्रीम में पाकिस्तान की ओर बहाया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के अफसरों को किसानों की पीड़ा से सरोकार नहीं है। उसे सिंचाई के लिए पानी चाहिए और हुक्मरान अफसर कह रहे हैं कि हमने गेहूं की बुवाई के लिए ‘पीले चावल’ नहीं दिए थे।
गौरतलब है कि पिछले दिनों पंजाब में सतलुज और व्यास नदियों के इलाके में हुई बारिश से हरिके हैडवर्क्स पर पानी की आवक बढ़ी है, लेकिन यह पानी इंदिरा गांधी नहर और फिरोजपुर फीडर में छोड़ने के बजाय डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जा रहा है, जो हुसैनीवाला हैडवर्क्स होते हुए पाकिस्तान जा रहा है। इंदिरा गांधी व भाखड़ा नहर से जुड़े खेतों में गेहूं की फसल को सिंचाई के लिए पानी का इंतजार है, लेकिन मजबूर किसान उसी पानी को पाकिस्तान की ओर जाता देख रहे हैं। राजस्थान जल संसाधन विभाग के अधिकारी मदद करने के बजाय अपने बयानों से अन्नदाता के जले पर नमक छिड़क रहे हैं।
जब ऐसे बेदर्द हाकिम हों तो किसानों को आंधी, तूफान, ओले और अतिवृष्टि भी मित्र लगते हैं। नहरी पानी को लेकर प्रदर्शन कर रहे एक युवा किसान ने इस शेर से पीड़ा बयां की – ‘दर्द कम करने की दवा हो तो दे हाकिम, जिंदगी में गम कम नहीं है, तेरी बद्दुआ नहीं चाहिए’। फिर बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि आधे प्रदेश का पेट भरने के लिए गेहूं उपजाते हैं। सिंचाई के लिए पानी चाहिए, खैरात नहीं मांग रहे। पंजाब से पानी राजस्थान के बजाय पाकिस्तान क्यों भेजा जा रहा है? क्या इतने नापाक हैं हम? गजब जमाना है – सूखा पड़ने पर जिसकी आह से आसमां फट पड़ता है, उसके बिलखने पर सरकार कान नहीं धर रही।
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