करीब 20 जिलों में लोगों ने किया था पुरजोर विरोध
एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल व महासचिव रोहित मेहता ने रविवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पूर्व में मिनरल उद्योग पर लागू की गई उक्त व्यवस्था का राजस्थान के करीब 20 जिलों में कार्यरत
मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग के लोगों ने पुरजोर विरोध किया था। इस व्यवस्था के ख़िलाफ़ एसोसिएशन के माध्यम से पूर्व में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से स्थगन आदेश प्रदान किया था तथा राज्य सरकार को कहा था कि इसको वापस रिव्यू करें लेकिन सरकार का रवैया सकारात्मक नहीं रहा तब एसोसिएशन द्वारा ज्ञापन दिया गया जिस पर तत्काल जिला कलेक्टर ने मुख्य सचिव को ट्रांजिट पास व्यवस्था को अव्यवहारिक बताते हुए उद्योग हित में समाप्त किए जाने को लेकर मिनरल उद्यमियों की बात सरकार तक पहुंचाई। फलस्वरुप तत्कालीन मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग एवं खान विभाग को एक कमेटी बनाकर इस पर रिव्यू किए जाने का आदेश दिया।
स्थानीय स्तर की सिफारिश को जयपुर भेजा गया
रोहित मेहता ने बताया कि उस समय बनाई गई कमेटी ने भी सरकार को इस व्यवस्था को बदलने की सिफारिश की। उन्होंने बताया कि राज्य में नई सरकार के आते ही मुख्यमंत्री एवं खान मंत्री
भजनलाल के समक्ष मामला लाया गया। स्थानीय स्तर पर निदेशक, अतिरिक्त निदेशकों व खनिज अभियंता के संज्ञान में उक्त विषय लाया गया। फलस्वरुप स्थानीय स्तर की सिफारिश को जयपुर भेजा गया।
नई खनिज नीति 2024 में ट्रांजिट पास व्यवस्था समाप्त
स्टेक होल्डर से मीटिंग के क्रम में खान सचिव टी रविकांत ने बैठक में उक्त विषय को गंभीरतापूर्वक सुनकर इसे समाप्त करने की ओर बढ़ाने का आश्वासन दिया। नई खनिज नीति 2024 में खनिज के परिवहन पर लागू की गई ट्रांजिट पास व्यवस्था समाप्त किए जाने की घोषणा की गई। उन्होंने बताया कि राज्य में ट्रांजिट पास समाप्त होने से राजस्थान के करीब सात हजार उद्योगों को फायदा हुआ है। (वार्ता)