जलस्रोतों संरक्षण के लिए ये पाबंदियां
वेटलैंड के रूप में नामित होने वाले जलस्रोतों के लिए सरकार की ओर से नियम बनाएं हुए हैं। इसके तहत वेटलैंड (आर्द्रभूमि) का प्रबंधन और संरक्षण किया जाता है। इन नियमों के तहत आर्द्रभूमि क्षेत्रों के भीतर कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध होता है। जिसमें औद्योगिकीकरण, खतरनाक पदार्थों का निपटान, ठोस अपशिष्ट का निपटान आदि शामिल हैं।वेटलैंड सिटी होने के ये होंगे लाभ
जलस्रोत ● जल शुद्धिकरण● जल प्रवाह तंत्र विकास
● अपशिष्ट जल उपचार
जलवायु विनियमन
● कार्बन उर्त्सजन में कमी● बाढ़ और आग जैसी आपदा की संभवना में कमी लाना
● शहरी गर्मी शमन
आजीविका एवं गरीबी उन्मूलन
● प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण● जल आपूर्ति
● कृषि से आजीविका
राजस्थान पत्रिका के मुद्दे पर मुहर
उदयपुर की झीलों की सुरक्षा के मुद्दों को राजस्थान पत्रिका की ओर लगातार उठाया जाता रहा है। पत्रिका की खबरों के बाद झीलों की सुरक्षा के मामले न्यायालय में भी पहुंचे। इसमें हाईकोर्ट की ओर से उदयपुर की पिछोला एवं फतह सागर झील से पेट्रोल डीजल संचालित नावों को बाहर कर ईको फ्रेंडली नावों के संचालन का फैसला महत्वपूर्ण रहा। इसके बाद नगर निगम और यूडीए की ओर से दोनों झीलों से पेट्रोल-डीजल संचालित नावों को बाहर निकालने की कार्रवाई शुरू की।मेनार को सरकार ने 2023 में किया था अधिसूचित
गौरतलब है कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने राज्य के 44 वेटलैंड के लिए अंतिम अधिसूचना जारी की थी। इसमें उदयपुर जिले के बर्ड विलेज मेनार के नाम पर भी अंतिम मुहर लगी थी। विभाग ने मेनार वेटलैंड के संरक्षण पर कार्य भी शुरू किया है। वेटलैंड की अधिसूचना में मेनार के जलाशयों को मेनार तालाब वेटलैंड कॉम्प्लेक्स नाम दिया गया है।टॉपिक एक्सपर्ट
उदयपुर को वेटलैंड सिटी के रूप में नामित किया जाना हमारे के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। इससे झीलों के शहर को अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई है। वेटलैंड सिटी का दर्जा प्राप्त होने के बाद झीलों का संरक्षण हो सकेगा।–अनिल मेहता, पर्यावरणविद्