महिलाओं को सिर्फ घर का काम करने की सलाह
‘अमर बांग्ला बोई’ की कहानी ‘अमर बरीर काज’ में बदलाव करते हुए इसके नए संस्करण में घर के काम ज़्यादातर महिला पात्रों को दिए गए हैं, जबकि घर के बाहर के काम पुरुष पात्रों को दिए गए हैं। इस तरह यह कहानी अब पुरुष और महिला को लेकर तालिबानी मानसिकता को ही आगे बढ़ाती है। ऐसा करते हुए महिलाओं को सिर्फ घर का काम करने की सलाह दी गई है।
इस तरह बदले गए संवाद
वर्ष 2025 के शैक्षणिक वर्ष के लिए जारी संशोधित पाठ में कहानी के महिला पात्र तुली और पुरुष पात्र टोपू के कथन को बदल दिया गया है। 2024 के संस्करण में टोपू नामक पुरुष पात्र को “मैं घर साफ करूंगा और मैं कपड़े व्यवस्थित करूंगा” जैसी बातें कहते हुए दिखाया गया था। पर संशोधित संस्करण में ये बातें भी अब महिला पात्र तुली द्वारा कही गई हैं। इसके अलावा, 2024 के संस्करण में जब तुली के पिता बाज़ार जाने का जिक्र करते हैं, तो तुली कहती है, “मैं बाज़ार जाऊंगी।” 2025 के संस्करण में यह बात अब टोपू द्वारा बोली गई है, जो कहता है, “मैं पिताजी के साथ बाज़ार जाऊंगा।” वहीं, तुली कहती है, “मैं घर के काम करूंगी।”
तालिबान की राह पर बांग्लादेश?
क्या बांग्लादेश भी तालिबान की राह पर चल रहा है? तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं पर कई पाबंदियाँ लगाईं जा चुकी हैं। ऐसे में अब बांग्लादेश की पाठ्यपुस्तक में हुए इस बदलाव से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि बांग्लादेश में अफगानिस्तान की तरह ही महिलाओं पर पाबंदियाँ लगाईं जा रही हैं।